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अपना से अपनही के समझावल कला हऽ- अवनीश त्रिपाठी

03:52 PM Aug 31, 2024 IST | Sonu Kishor
अपना से अपनही के समझावल कला हऽ  अवनीश त्रिपाठी
Poetry Bhojpuri
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जज्बात के शब्दन में देखावल कला ह।

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अपना से अपनही के समझावल कला ह।।

रुसे के त बिना बात रिसिया जाला लोग।

खिसियाइल के जल्दी मनावल कला ह।।

दुःख सुख जीवन में कुल मिलत रही।

खाके धोखा जिनगी चलावल कला ह।।

काम परला पर आपन चिन्हा जाई।

फरहर बन के सबके अजमावल कला ह।।

निक भा बाउर अवनीश लिखबे करी।

सोच समझ के ताली बजावल कला ह।।

अवनीश त्रिपाठी ( गोपालगंज)

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