टेक्नोलॉजी
खेल | कब्बड्डीक्रिकेटफुटबॉलबैडमिंटनहॉकी
मनोरंजन | सीरियलसिनेमासंगीतशार्ट स्टोरीजवेब सीरीजवीडियोडॉक्यूमेंट्री
राजनीतिविविध
व्यापार | अर्थव्यवस्थाउधारडिजिटल मुद्रानिवेशपूंजीरियल एस्टेटशेयर बाजार
शासन-प्रशासन | अपराधकानूनदुर्घटनासामाजिक योजना
शिक्षा
लाइफस्टाइल | आयुर्वेदखानपानसेहतव्यायामरोग एवं उपचारयोगब्यूटी टिप्सघरेलू उपचार
फोटो स्टोरीपर्यटन स्थल
धरम-करम | राशिफलमान्यतात्यौहारतीर्थ स्थलअंधविश्वास
देस-बिदेस
साहित्य | उपन्यासकविताकहानी
स्पेशल स्टोरीबड़ी खबरें
Advertisement

बागपत में बदरुद्दीन शाह के मजार नाहीं, कोर्ट महाभारत काल के लाक्षागृह मानके हिन्दुअन के सौंपलस 100 बीघा जमीन

10:17 AM Feb 06, 2024 IST | Minee Upadhyay
Advertisement

इs फैसला बागपत लाक्षागृह अवुरी मजार विवाद (बागपत महाभारत लाक्षागृह ना बदरुद्दीन शाह मजार) पs आईल बा। बागपत में बदरुद्दीन शाह के मकबरा अवुरी लाक्षागृह के मामिला पs एडीजे कोर्ट बड़ फैसला देले बिया। कोर्ट के फैसला के मुताबिक एs मामिला में हिन्दू पक्ष के जीत भईल बा। कोर्ट 100 एकड़ जमीन के संगे कब्र के मालिकाना हक हिन्दू पक्ष के देले बिया।

Advertisement

महाभारत काल से संबंधित 

एs मामिला में कोर्ट हिन्दू पक्ष के 10 से जादे गवाह के गवाही दर्ज कs लेले रहे। बता दीं कि सिविल जज शिवम द्विवेदी मुस्लिम पक्ष के मामिला के खारिज कs देले रहले। एह मामिला पs केस पिछला पचास साल से हिन्दू पक्ष आ मुस्लिम पक्ष के बीच कोर्ट में चलत रहुवे। इहे मामिला महाभारत काल से जुड़ल लाक्षागृह के बा। जहां मुस्लिम समुदाय एकरा के लाक्षागृह ना बालुक शेख बदरुद्दीन के कब्र कहे में जुटल बा। बागपत सिविल कोर्ट में इs मामिला 1970 से चलत बा। जवना पs बागपत के सिविल कोर्ट आजु आपन फैसला देले बिया।

बागपत के एह बरनावा इलाका के पहचान महाभारत में उल्लेखित वारणावत से भइल बा। बरनावा हिंडन आ कृष्णा नदी के किनारे बसल एगो गाँव हs। इहाँ करीब 100 फीट ऊँच आ 100 बीघा जमीन के बड़का टीला बा। पौराणिक मान्यता बा कि इहे उs जगह हs जहवाँ पांडव के मारे खातिर लाक्षागृह के निर्माण भइल रहे। एह टीला के लगे एगो गुफा भी बा। कहल जाला कि इहे प्राचीन गुफा हs जहाँ पांडव लोग आग के लपट से बचे खातिर शरण लेले रहे। पुरातत्व विभाग भी एह इलाका के सर्वेक्षण कइले रहे। एएसआई के इहाँ महाभारत काल के सभ्यता आ संस्कृति के अवशेष भी मिलल बा। ईs जगह खाली एएसआई के संरक्षण में बा। लाक्षागृह के लगे एगो गुरुकुल आ कई गो भव्य यज्ञशाला भी बा। इहाँ साल में दु बेर महायाज्ञ के आयोजन होखत रहे।

1952 में हस्तिनापुर एएसआई निदेशक के नेतृत्व में इहाँ एगो सर्वेक्षण भईल। इहाँ 4500 साल पुरान माटी के घड़ा भी मिलल। 2018 में दूसरा बेर विवाद सामने अइला के बाद टीला के खुदाई भी शुरू भइल। इहाँ कई गो मूर्तिकला आ हड्डी भी मिलल बाड़ी सऽ जे प्राचीन काल के अवशेष के संकेत देत बाड़ी सऽ।

मुस्लिम पक्ष एकरा के शेख बदरुद्दीन के कब्र आ उनकर कब्रिस्तान इलाका कहेला। 1970 में हिन्दू मुस्लिम दल के बीच विवाद के बाद मेरठ सिविल कोर्ट में इs मामिला दर्ज भईल, ओकरा बाद बागपत एडीजे कोर्ट में स्थानांतरित कs दिहल गईल। यूपी सरकार एह जगह के महाभारत सर्किट के तहत विकसित करे के योजना बनवले बिया।

एहसे पहिले अयोध्या राम मंदिर विवाद के समाधान से ओहिजा राम मंदिर बनावे के राह खुल गइल। काशी के ज्ञानवापी में मंदिर के मौजूदगी के बारे में एएसआई के रिपोर्ट पs हिन्दू पक्ष के गर्व बा। व्यासजी तहखाना में भी पूजा शुरू हो गईल बा। हिन्दू पक्ष वाजु खाना में कथित शिवलिंग वाला परिसर के एएसआई सर्वेक्षण करावे के मांग भी कर रहल बा। एकरा संगे मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद में हिन्दू पक्ष मालिकाना हक के लड़ाई के कोर्ट में ले गईल बा।

 

 

 

Tags :
badruddin majarbaghpatCourtindialakshgrihaMeerutUttarakhand
Advertisement
Next Article