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भोजपुरी कविता:कवनों शिकवा शिकायत नाही बा तुहसे....

11:55 AM Jan 03, 2024 IST | Minee Upadhyay
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कवनों शिकवा शिकायत नाही बा तुहसे, न काले रहे न आजे बा, अउर त अउर तुहार कहल हर एक बतिया के हम सच ही मानी ना, इहो जानत बानी कि तू हमसे झूठ ही बोलत हऊ।

 

कबो-कबो जिनगी कुछ अइसन लोगन से मिलवा देले जेसे जिनगी में एक अलग लगाव हो जाला अउर उ लोगन में से तू एक हऊ।

कवनों सरत ना बा, बिना केहू के बात सुनले बिना तू हमके हमार हर ग़लती के साथ अपन मान लिहलु, अउर जानत हऊ इहे बात तुहके ई करोड़ो लोगन में से अगल करेला।

 

तू कबो कुछ न हमसे मंगलू, न कहलु, ह भगवान से इहे विनती कईलू की हम खूब जस नाम कमाई। जानत बाड़ू, हम्में अपन ही लिखल कुछ लाइन याद आवत बा त लिख देत बानी कि...

कइसन बा तुहसे रिश्ता हम्में कुछु पता न बा

काहे की हर दिन नया-नया तू रिश्ता निभा रहल बाड़ू।

 

कबो एगो दोस्त खानी हमार गलती पर डाट के गलती सुधार करेलु त कबो माई खानी दिन दुपहरिया समझावल करेलु, कबो बहिन खानी लड़ जालू त कबो प्रेमिका खानी रूस जालू। साचो कुछुये दिन में तू हमरे जिनगी के एगो हिस्सा हो गईलू।

जवन हक, जवन लगाव अउर जवन जिद के साथे तू कनई में कमल खिला दिहलु, अइसन लागत बा कि कवनो कोहार माटी से बर्तन बनावत बा।

 

कबो कबो जिनगी में अइसन लोग मिल जाले की जिनगी के हिस्सा के साथे साथे एगो किस्सा बन जालें।

जेतना दूरे गइले के सोचनी भुलाइल चहनी तू अउरी हमरे नज़दीके आवत गईलू। साँचे कहल जाला जहवाँ दिल मिल जाला उहा विचारन के मेल के कवनो जरूरत न रहे ला। ई हमार निजी मानल बात ह।

 

कबले साथ चलल जाई। केतना दूर ले चलल जाई। कहवाँ ले चलल जाई, कुछु नइखे जानत। लेकिन ह जवने हक अउर लगाव से तू हमके इहा ले लइलु, ई कवनो साधारण लईकी के बस के बात न रहे। ई समय बीत जाई। लोग समय के साथ सब भुला जाई पर तु आराम से निश्चिन्त रहिया। काहे कि तू हरदम ख़ातिर हमरे दिल में एगो देवी खानी विराजमान बाड़ू।

हमरे हर सफलता क पहीला श्रेय तुहार ह,

एगो कवि क लिखल कुछ पँक्ति लिखत बानी की

खोज लेब हम मरुस्थल में कमल

बस तू हमरे साथ रहा।

तुहरे हर उम्मीद पे कोशिश करब की हम सफल हो जाई। जवन प्यार दुलार तू दिहलु उ प्यार दुलार क सम्मान बनवले रही। ह बस तू असही हमरे साथ चलत रहा....

"निर्भय निनाद"

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