जन्मदिन विशेष: परिवार के लोग चाहत रहे कि उ शिक्षक बनस, बाकी बछेंद्री पाल बनली एवरेस्ट विजेता
भारत के पहिला माउंट एवरेस्ट विजेता महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल के आज जन्मदिन हs। बछेंद्री अपना जन्मदिन से एक दिन पहिले, 38 साल पहिले 23 मई 1984 के दुनिया के सबसे ऊँच चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़े वाली पहिल भारतीय महिला पर्वतारोही के गौरव हासिल कइले रहली।
आज देश के सबसे पहिल महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल के जन्मदिन हs। इनकर जनम 24 मई 1954 के उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला के नकुरी गाँव में भइल रहे। 38 साल पहिले 23 मई 1984 के उत्तराखंड के ई बेटी दुनिया में इतिहास रचले रहली। बछेंद्री भारत के पहिल महिला आ दुनिया के पांचवा महिला बनली जवन कि दुनिया के सबसे ऊँच चोटी 'माउंट एवरेस्ट' प जीत हासिल कइले रहली। एह उपलब्धि के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी बहुत तारीफ कइली ।
एगो किसान पिता के बेटी पहाड़ पर चढ़ली: ओह घरी वर्तमान उत्तराखंड उत्तर प्रदेश के हिस्सा रहे। बछेंद्री के बाबूजी किसान रहले। बाबूजी गेहूं चाउर के व्यापार करत रहले। इनकर घर के आर्थिक हालत साधारण पहाड़ी परिवार के जइसन रहे। मतलब कि खेती में जवन कुछ पैदा होला ओकरा से गुजर बसर करीं । बचपन से पढ़ाई के संगे-संगे खेल में बछेंद्री आगे रहली। ऊ महज 12 साल के रहली जब ऊ अपना स्कूल के दोस्त के संगे पहिला बेर पर्वतारोहण के कोशिश कइली। बछेंद्री पाल स्कूल के पिकनिक के दौरान 13,123 फीट के ऊंचाई प चढ़े के कोशिश कइले। गंगोत्री पर्वत पs 21,900 फीट आ रुद्रगरिया पर्वत पs 19,091 फीट तक चढ़े में भी भाग लिहले।
रहगांव के पहिला स्नातक रहली बछेंद्री पाल : आईं एगो रोचक तथ्य बताईं कि बछेंद्री पाल अपना गाँव में स्नातक करे वाली पहिला महिला रहली। उनकर परिवार के लोग उनकर पर्वतारोहण के शौक के खिलाफ रहले। उनकर परिवार चाहत रहे कि ऊ शिक्षक बनस। बीए कइला के बाद बचेन्द्री एम.ए.(संस्कृत) कइली। ओकरा बाद बीएड के डिग्री हासिल कइली। एकरा बावजूद बछेंद्री के कतहीं बढ़िया नोकरी ना मिलल। बछेंद्री नौकरी खोजे के बजाय कुछ बड़हन करे के ठान लिहली
परिवार चाहत रहे कि बचेन्द्री शिक्षक बनस : बछेंद्री के परिवार ना चाहत रहे कि ऊ पर्वतारोही बनस। ऊ लोग बचेन्द्री पाल के शिक्षक बनावल चाहत रहले। बाकी परिवार के लोग के उनका जिद के आगे झुके के पड़ल। नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनिंग में दाखिला लिहली। 1984 में भारत एवरेस्ट पs चढ़े खातिर एगो अभियान टीम बनवलस। एह टीम के नाम रहे ‘एवरेस्ट-84’। बछेंद्री पाल के साथे टीम में 11 गो मरद आ 5 गो महिला रहली एवरेस्ट-84 के विजेता बनली: टीम मई के शुरुआत में आपन अभियान शुरू कइलस। खराब मौसम, खड़ी चढ़ाई आ तूफान के सामना करत बचेंद्री 23 मई 1984 के एवरेस्ट पs विजय हासिल क के एगो नया इतिहास रचली। बछेंद्री पाल के पूरा देश आ दुनिया में बहुते तारीफ भइल । उनकर सफलता अखबार-पत्रिका के पन्ना पs रंगाए लागल।
माउंट एवरेस्ट जीतला पs पद्मश्री मिलल : भारत सरकार भी बछेंद्री के एह सफलता के संज्ञान लिहलस। इनके कई गो सम्मान से सम्मानित कइल गइल जेह में 1984 में पद्मश्री आ नेशनल एडवेंचर अवार्ड आ 1986 में अर्जुन अवार्ड सामिल रहलें। 1990 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़े वाली पहिली भारतीय महिला पर्वतारोही के रूप में इनके उपलब्धि खातिर इनके गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सामिल कइल गइल। ऊ स्टील कंपनी टाटा स्टील में काम कर रहल बाड़ी। ऊ चुनल पर्वतारोहियन के रोमांचक अभियान खातिर प्रशिक्षित करेली। एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल के खबर भोजपुरी के ओर से जन्मदिन के बहुत बहुत शुभकामना।