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Chabahar Port Deal: 'संकीर्ण सोंच छोड़े के चाहीं..', चाबहार डील पऽ अमेरिका के चेतावनी के बाद जयशंकर के खरी-खरी

04:07 PM May 15, 2024 IST | Sonu Kishor
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Chabahar Port Deal: चाबाहार पोर्ट पऽ भइल समझौता के कुछ घंटा के बादे अमेरिका भारत के नाम लेले बिना कहलस कि जवन देश ईरान के साथे द्विपक्षीय समझौता करऽता तऽ ओकरा हम पाबंदियां लगा सकत बानी। अमेरिका के एह धमकी पs विदेश मंत्री एस जयशंकर जवाब देलन। उऽ कहले कि चाबहार बंदरगाह पs भइल समझौते पs लोगन के आपन संकीर्ण नजरिया छोड़े के चाहीं।

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भारत आ ईरान की कंपनियन के बीच कुछ दिन पहिले चाबहार पोर्ट के एगो हिस्सा के सह-प्रबंधन के लेके समझौता भइल बा। एह समझौते से भारत ईरान आ कई गो देशन के फायदा मिली। हालांकि, कई देशन के एह समझौता से मिर्चीयो लागल बा।

पिछला कई सालन से अमेरिका आ ईरान के बीच तनाव के माहौल बा। अमेरिका साफ तौर पs कहले बा कि जवनो देश ईरान के साथे समझौता करी ओपर प्रतिबंध लगावल जा सकऽता।

मंगर के रात कोलकाता में आपन किताब 'Why Bharat Matters' के बांग्ला संस्करण के लॉन्च के दौरान एह मामला पs आपन प्रतिक्रिया देले। उऽ कहले कि चाबहार बंदरगाह पs भइल समझौता पs लोगन के आपन संकीर्ण नजरिया छोड़ देवे के चाहीं। विदेश मंत्री एस जयशंकर कहले कि चाबहार बंदरगाह से पूरा क्षेत्र के लाभ होई आ एकरा बारे में संकीर्ण दृष्टिकोण ना अपनावे के चाहीं।

अमेरिको कइल चाबहार के व्यापक प्रासंगिकता के जिक्र

एस जयशंकर ने आगे कहले,"हमनी के चाबहार बंदरगाह के साथे एगो लमहर जुड़ाव रहे, बाकिर हमनी कबो दीर्घकालिक समझौता पs हस्ताक्षर ना कर पवनी। एकर कारण ई रहे कि अलग - अलग समस्या रहे। अंत में, हमनी एकरा के सुलझावे में सक्षम रहनी आ दीर्घकालिक समझौता पs हस्ताक्षर करे में सक्षम रहनी। समझौता हो गइल।  एगो दीर्घकालिक समझौता आवश्यक बा काहेकि एकरा बिना हमनी बंदरगाह संचालन में सुधार नइखी कर सकत आ हमनी के मानना बा कि बंदरगाह संचालन से पूरा क्षेत्र के लाभ होई।"

उन्होंने आगे कहले, "जदि अतीत में चाबहार के प्रति अमेरिका के रवैया के देखल जाव, तऽ अमेरिका एह तथ्य के सराहना करत रहे कि चाबहार के व्यापक प्रासंगिकता बा। हम एपर काम करब।"

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