रिक्शा वाला के नाहीं होत रहे सादी, लइकी ढूंढत थक गइल रहले घरवाला लो, लगवलस अइसन जुगाड़, अब लागल बा रिश्ता के लाइन
भारत में बियाह के आदमी के जीवन के बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा मानल जाला। इहाँ लईका-लईकी दुनो खातीर बियाह के उमिर तय कईल गईल बा। अगर ए उमिर के बाद बियाह ना भईल तs परिवार के लोग के संगे रिश्तेदार भी ताना मारे लागेले। मध्य प्रदेश के दमोह में रहे वाला तीस साल के रिक्शा खींचे वाला एह तरह के ताना-बाना से तंग आ गईल रहे।
दीपेन्द्र राठौर नाम के एह आदमी के जब तीस साल के उमिर में बियाह ना भइल तs ऊ एगो अनोखा तरीका अपना लिहले। दीपेंद्र बतवले कि उनुका बियाह के बारे में परिवार के लोग बहुत जगह पs बात कईले रहले। लेकिन हर बेर कवनो ना कवनो कारण से रिश्ता टूट जाता। लोग उनका के ताना मारे लागल। अइसना में ऊ एगो अनोखा राह अपना लिहले। दीपेंद्र ई-रिक्शा चलावेले। अयीसना में उ अपना रिक्शा के पीछे बियाह खातीर आपन बायोडाटा लगा देले बाड़े।
दीपेंद्र अपना ई-रिक्शा के पीछे पोस्टर लगा देले। एहमें दीपेन्द्र के तस्वीर से जुड़ल हर बात आ उनुका बारे में जानकारी दिहल गइल बा। जवना में उनुकर उमिर, पेशे आ उनुका अपना जीवन साथी से का उम्मीद बा, सभके जिक्र भईल बा। दीपेंद्र के पोस्टर के तस्वीर जसही सोशल मीडिया पs शेयर भईल तs उs वायरल हो गईल। दीपेंद्र के ई सरल लेकिन रोमांचक तरीका लोग के ध्यान अपना ओर खींचलस।
कई गो रिश्ता आवे लागल
बतावल जाता कि बियाह से जुड़ल दीपेंद्र के विज्ञापन जसही वायरल भईल, ओसही उनुका रिश्ता के तार मिल गईल। दीपेन्द्र खातिर कई गो लइकिन के रिश्ता आवे लागल। दीपेन्द्र के ई तरीका लोग के बहुते नीक लागल। काम के चलते दीपेंद्र के लगे एतना समय ना रहे कि उs अपना रिश्ता खातीर हर जगह जास। अइसना में एह विचार के वजह से दीपेन्द्र आपन काम करे में सक्षम बाड़े अवुरी लईकी भी उनुका बारे में जान-पहचान करत बाड़ी।