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Dhanteras 2024: लक्ष्मी नारायण योग में धनतेरस, एs आरती से करीं भगवान धन्वंतरि के पूजा

03:16 PM Oct 29, 2024 IST | Minee Upadhyay
dhanteras 2024  लक्ष्मी नारायण योग में धनतेरस  एs आरती से करीं भगवान धन्वंतरि के पूजा
धनतेरस 2024
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धनतेरस 2024 : आजु यानी 29 अक्टूबर 2024 के पूरा देश में धनतेरस के परब मनावल जा रहल बा। ई दिन भगवान धन्वंतरी के पूजा में समर्पित बा। मानल जाला कि धनतेरस के दिन सागर के मंथन के समय भगवान धन्वंतरी अमृत घड़ा से अवतार लिहले। एह दिन उनकर पूजा कइला से भक्त निरोग स्वस्थ हो जाला। एह दिन देवी लक्ष्मी, गणेश भगवान आ कुबेर महाराज के पूजा भी शुभ बा। एह से घर में आशीर्वाद बनल रहेला। साथ ही आर्थिक स्थिति पहिले से बेहतर हो जाला.

धनतेरस दिवाली त्योहार के पहिला दिन हs, जवना के उत्साह भाई दूज ले देखल जा सकता। हर साल के तरह अबकी बेर धनतेरस पs बहुते शुभ योग बनावल जा रहल बा जवन सभका खातिर फायदेमंद बा. ज्योतिषीय गणना के मुताबिक अबकी बेर धनतेरस के दिन 100 साल बाद दुर्लभ संजोग हो रहल बा। एह दौरान त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, लक्ष्मी नारायण योग, शश महापुरुष राजयोग, कुल मिला के पांच गो शुभ संयोजन के निर्माण हो रहल बा। एह महान संयोग में देवी लक्ष्मी आ धन्वंतरी भगवान के आरती कs के वांछित परिणाम मिलेला। अइसना में एह आरती के बारे में जानीं.

मां लक्ष्मी के आरती 

ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।

तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

मैया तुम ही जग-माता।।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

मैया सुख संपत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।

मैया तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

मैया सब सद्गुण आता।

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

मैया वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

मैया क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।

मैया जो कोई नर गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

ऊं  जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।

ऊं जय लक्ष्मी माता।।

गणेश जी के आरती 

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

श्री भगवान धन्वंतरि जी के आरती

ॐ जय धन्वन्तरि देवा, स्वामी जय धन्वन्तरि जी देवा।

जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।

स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा ॥

तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।

देवासुर के संकट आकर दूर किए।।

स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥

आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।

सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।

स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥

भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।

आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।

स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥

तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।

असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।

स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥

हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।

वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।

स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥

धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।

रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।

स्वामी जय धन्वन्तरि देवा, ॐ जय धन्वन्तरि जी देवा॥

डिस्क्लेमर : ई लेख लोक मान्यता पs आधारित बा। इहाँ दिहल जानकारी आ तथ्य के सटीकता आ पूर्णता खातिर अमर उजाला जिम्मेदार नइखे.  

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