महाबली हनुमान जी के सोझा जब रावण के भइल बोलती बंद, जानीं रामायण के ई अद्भुत प्रसंग
रामायण : हिन्दू धर्म में आ वर्तमान कलयुग के समय में हनुमान जी के सबसे जादा पूजा होला। बस हनुमान जी के शरण लेला से पूरा जिनगी के परेशानी आ दुख मिट जाला। श्री राम के प्रिय हनुमान जी हमेशा ओह लोग के रक्षा करेले जिनकर प्रेम श्री राम आ माँ सीता से बा। एकरा संगे वीर बजरंगी कबहूँ धार्मिक लोग के कवनो परेशानी ना होखे देवेले।
हमनी के सब केहू जानत बानी जा कि हनुमान जी अमर हवें आ अमरता के आशीर्वाद मिलल बा। ई कथा रामायण काल के ह आ एह अमर तत्व के आशीर्वाद उनुका माई सीता से मिलल बा। आईं रामायण में ओह समय के बात कइल जाव जब हनुमान जी पहिला बेर लंका पहुंचले आ माई सीता के भगवान श्री राम के संदेश दिहले। एकरा बाद जब लंका में पहिला बेर रावण से भेंट भइल तs ओह लोग के बीच का बतकही भइल आ का भइल कि हनुमान जी के बोलते रावण चुप हो गइल।
हनुमान जी रावण के राम के भक्त के रूप में परिचय करवले।
दासोऽहं कोसलेन्द्रस्य रामस्याक्लिष्टकर्मणः।
हनुमान्शत्रुसैन्यानां निहन्ता मारुतात्मजः।।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब रावण हनुमान जी के एगो साधारण बानर मान के पूछले कि उ के ह? तब हनुमान जी गर्व से आपन परिचय दिहलन कि कौशल राज्य के राजा भगवान श्री राम के परम सेवक हईं आ उनुका के ई बतावत हम बहुते खुश बानी। हम हनुमान, वायु के पुत्र, दुश्मन के नाश करे वाला।
हनुमान जी के गर्जना सुन के रावण काँप गईल
इ कहला के बाद हनुमान जी आगे रावण से कहले कि जब हम हजारन गो पेड़ अवुरी बहुत पत्थर पs धवस्त करब तs ओ समय चाहे केतनो रावण आवस, उ लोग हमरा सोझा ना हो पाई। गर्जत हनुमान जी कहले, हमरा में सोना के लंका के पल भर में नाश करे के क्षमता बा आ रावण, तू कुछुओ ना हउअ। लेकिन हम लाचार बानी, काहे कि हमार प्रिय श्री राम अबे ले हमरा के अयीसन कवनो आदेश नईखन देले, ना तs आपके सबक सिखावे में एक पल भी ना लागी। इs सुन के रावण डेरा गईले अवुरी कुछ देर तक चुप हो गईले।