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Vat Savitri Vrat: आजु हs वट सावित्री व्रत, जानी कवन चीज के बिना इs व्रत रह जाई अधूरा

06:10 AM Jun 06, 2024 IST | Minee Upadhyay
vat savitri vrat  आजु हs वट सावित्री व्रत  जानी कवन चीज के बिना इs व्रत रह जाई अधूरा
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वट सावित्री के व्रत बियाहल मेहरारू लोग के होला। ई व्रत ज्येष्ठ महीना के कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि के करल जाला। एह दिन मेहरारू लोग व्रत रखेली आ सुखी दाम्पत्य जीवन आ पारिवारिक सुख के प्रार्थना करेली। वट सावित्री व्रत साल 2024 के 6 जून मतलब आज मनावल जाई। एह दिन बरगद के पेड़ के पूजा कइल जाला। एह दिन संस्कार के अनुसार पूजा कइला से राउर सब मनोकामना पूरा हो सकेला। अइसन स्थिति में आज हमनी के वट सावित्री व्रत के पूजा में इस्तेमाल होखे वाला सामग्री के बारे में जान ली।

वट सावित्री व्रत के पूजा सामग्री

धूप, मिट्टी के दीपक, अगरबत्ती, पूजा के थाली

सिंदूर, रोली, अक्षत

कलावा, कच्चा सूत, बांस का पंखा, रक्षासूत्र, सवा मीटर कपड़ा

बरगद के फल, लाल आ पीले रंग के फूल

काला चना भिगोवल, नारियल

श्रृंगार सामग्री,

पान के पत्ता, बताशा

वट सावित्री व्रत कथा के किताब

सावित्री आ सत्यवान के फोटो

वट सावित्री व्रत के पूजा विधि

वट सावित्री के दिन भक्त लोग के सबेरे सबेरे उठ के नहा के ध्यान करे के चाहीं। एकरा बाद बरगद के पेड़ के लगे पहुंचला के बाद सबसे पहिले बरगद के जड़ पs सत्यवान अवुरी सावित्री के चित्र चाहे मूर्ति लगावे के चाही। एकरा बाद धूप आ दीप जरावल जाव आ ओकरा बाद फूल, अक्षत आदि चढ़ावल जाव. एकरा बाद कच्चा कपास से कवट के पेड़ के 7 बेर परिक्रमा करे के चाही। एकरा बाद भींजल चना हाथ में लेके वट सावित्री व्रत के कहानी पढ़े भा सुने के चाहीं। ई प्रक्रिया पूरा भइला के बाद कपड़ा आ भींजल चना के सास के सोझा भेंट करे के चाहीं, आ उनुका से आशीर्वाद लेबे के चाहीं. एकरा बाद वट वृक्ष के फल खा के व्रत तोड़े के चाही। व्रत तोड़ला के बाद रउरो भी अपनी क्षमता के अनुसार दान करे के चाही। मानल जाला कि वट सावित्री व्रत के बाद दान कईला से जीवन के सभ समस्या दूर हो जाला।

वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ के पूजा के महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार यमराज माई सावित्री के पति के पाण वट वृक्ष के नीचे वापस कs देले रहले। एकरा संगे यमराज सावित्री के 100 बेटा पैदा करे के वरदान भी देले रहले। मानल जाला कि तब से वट सावित्री के व्रत करे के परम्परा शुरू हो गइल आ एकरा साथे साथ बरगद के पेड़ के भी पूजा होखे लागल। धार्मिक मान्यता के अनुसार जे भी एह दिन वट सावित्री के व्रत के पालन करेला आ वट वृक्ष के परिक्रमा करेला, ओकरा यमराज के आशीर्वाद के साथे त्रिमूर्ति के आशीर्वाद भी मिलेला। एह व्रत के असर के चलते वैवाहिक जीवन ना खाली सुखी रहेला बालुक एकर नतीजा में एगो योग्य संतान के जन्म भी होखेला। एही से आज भी महिला लोग एह दिन व्रत रखेली।

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