Mahakumbh: काहे होला साधु-संन्यासियन खातीर महाकुंभ जरूरी? जानीं ईहां
महाकुंभ के दुसरका अमृत स्नान 29 जनवरी के होखे वाला बा जवना के तइयारी शुरू हो गइल बा. महाकुंभ 26 फरवरी तक चले वाला बा। नागा साधू के 13 अखार संगम के किनारे आपन डेरा डाल के भगवान के भक्ति में डूबल बाड़े। इs नागा साधू लोग अमृत स्नान के दिन सबसे पहिले नहायेले। हिन्दू धर्म में महाकुंभ के एगो अलगे महत्व बा। कारण इs बा कि इs 12 साल बाद आवेला। साथ ही देश के 4 जगहा पs ही महाकुंभ के आयोजन होला जवना में उज्जैन, हरिद्वार, नासिक आ प्रयागराज शामिल बा।
नागा साधू लोग के पहिला स्नान के धर्म आ आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र मानल जाला। अमृत स्नान में सबसे पहिले 13 गो आखर, साधू संत, आचार्य, महामंडलेश्वर आ नारी नागा साधू स्नान करेला। एकरा बाद भक्तन के बारी आवेला। कुंभ के परम्परा के अनुसार अमृत स्नान खाली खास तिथि पs होला। देश भर के ऋषि आ संत लोग एह महाकुंभ में पहुँच के पवित्र नदी में डुबकी लगावेला। धार्मिक मान्यता के अनुसार महाकुंभ में अमृत स्नान (शाही स्नान) कइला से मोक्ष मिलेला आ तन-मन के अशुद्धि दूर हो जाला।
संत आ तपस्वी लोग खातिर महाकुंभ काहे महत्वपूर्ण बा?
शास्त्र के अनुसार महाकुंभ के संत आ तपस्वी लोग खातिर बहुत महत्वपूर्ण स्नान मानल जाला। मानल जाला कि अमृत में स्नान कइला से ही 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर गुण प्राप्त होला। महाकुंभ में अमृत में स्नान कइला के बाद ऋषि आ संत लोग भगवान के ध्यान करेला। इहे कारण बा कि ऋषि आ संत लोग विश्व कल्याण आ आपन मोक्ष खातिर निश्चित रूप से महाकुंभ में जाला।
अमृत स्नान कब-कब बा?
महाकुंभ में पहिला अमृत स्नान 14 जनवरी के पूरा हो चुकल बा, अब दूसरा अमृत स्नान के बारी बा जवन 29 जनवरी के होई। अबकी तीसरा अमृत स्नान 3 फरवरी के होई। एकरा बाद 12 फरवरी के माघी पूर्णिमा के आ महाशिवरात्रि (26 फरवरी) के स्नान होई।
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