भारत में लोगन के आंख से हटी चश्मा! DCGI से एह Eye Drop के मिलल मंजूरी
जदि बिना चश्मा के अखबार पढ़त घरी भा टीवी देखत घरी असुविधा के सामना करे के पड़ेला तऽ रउआ खातिर एगो बढ़िया खबर बा। दरअसल देश में अइसन आई ड्रॉप के मंजूरी मिल गइल बा, जवना के आंख में डालला के 15 मिनट के भीतर चश्मा के जरूरत ना पड़ी। ड्रग रेगुलेटर यानी भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल यानी डीसीजीआई एह आई ड्रॉप के मंजूरी देले बा।
एह आई ड्रॉप के डालला के बाद रउआ आंख के रोशनी अस्थायी तौर पसे वापस आ जाई। डीसीजीआई एह ड्रॉप के मंजूरी देवे से पहिले करीब दु साल परीक्षण कइले बिया।
खबर के मुताबिक मुंबई के एंटोड फार्मास्यूटिकल्स असल में एह दवाई के निर्माण कइले बिया। एकरा के मंगर के दिने ‘'प्रेस्वू'( Pres Vu)’ नाम से लॉन्च कइल गइल बा। इ दवाई आंख के पुतली के आकार के कम कऽ के 'प्रेसबायोपिया' नांव के बेमारी के इलाज करेले कि प्रेसबायोपिया के इस्थिति उम्र से जुड़ल बा आ आंख के नजदीकी चीज़ पs ध्यान देवे के क्षमता में कमी पs काम करेला। इ इस्थिति बुढ़ापा के बाद प्राकृतिक रूप से होखेला। प्रेसबायोपिया एगो अइसन बेमारी हवे जे दुनिया भर में 1.09 बिलियन से 1.80 बिलियन लोग के प्रभावित करे ले। आमतौर पs ई 40 के दशक के बीच में शुरू होला आ 60 के दशक के अंत ले चरम हो जाला।
एक बूंद के असर 6 घंटा तक चली
रिपोर्ट में कहल गइल बा कि दवाई के खाली एक बूंद डालला के बाद एकर असर 6 घंटा तक रहेला। कंपनी के कहनाम बा कि, जदी तीन से छव घंटा के भीतर दवाई के दूसरा बूंद डालल जाए तऽ एकर असर अउरी जादे समय तक चली। कंपनी के दावा बा कि अक्टूबर के पहिला सप्ताह से इ पर्चे आधारित ड्रॉप दवाई के दोकान में 350 रुपया के कीमत पs उपलब्ध हो जाई। इ दवाई 40 से 55 साल के लोग के हल्का से मध्यम प्रेसबायोपिया के इलाज खातिर होई। बढ़िया बात इ बा कि एह दवाई के भारतीय आबादी पs बड़हन पैमाना पs परीक्षण कइल गइल बा आ एकर बढ़िया परिणाम मिलल बा। ड्रॉप निर्माता लोग एह अनोखा फॉर्मूलेशन आ एकर निर्माण प्रक्रिया खातिर पेटेंट खातिर आवेदन कइले बा। दावा कइल जाता कि ए लोग के फार्मूला ना खाली पढ़े के चश्मा के जरूरत खतम कऽ देवेला बलुक आंख खातिर लूब्रिकेशन के कामो करेला।