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Happy Guru Purnima 2024: आज गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु की पूजा कइसे करी आ पूजा के महत्व जानि

09:40 AM Jul 21, 2024 IST | Raj Nandani
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गुरु पूर्णिमा 2024 के हार्दिक शुभकामना : पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद् भागवत आ अठारह पुराण जइसन अद्भुत साहित्य के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी के जनम आषाढ़ पूर्णिमा के भइल रहे आ उनकर जयंती गुरु पूर्णिमा के रूप में मनावल जाला।

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गुरु पूर्णिमा 2024 के हार्दिक शुभकामनाएं : आषाढ़ महीना के पूर्णिमा के गुरु पूर्णिमा कहल जाला। गुरु के पूजा एह दिन होला। सरल भाषा में गुरु ऊ व्यक्ति हवें जे ज्ञान के गंगा के बहाव आ हमनी के अन्हार से प्रकाश में ले जाले। ई परब पूरा भारत में बहुत श्रद्धा से मनावल जाला। एह साल ई परब 21 जुलाई 2024, एतवार के मनावल जा रहल बा।

गुरु पूर्णिमा के महत्व

ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद् भागवत आ अठारह गो पुराण जइसन अद्भुत साहित्य के रचना करे वाला पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व महर्षि वेदव्यास जी के जनम आषाढ़ पूर्णिमा के भइल रहे आ उनकर जयंती गुरु पूर्णिमा के नाम से मनावल जाला। वेदव्यास पराशर ऋषि के पुत्र रहले। हिन्दू धार्मिक ग्रंथन के अनुसार महर्षि व्यास तीनों काल के बारे में जानकार रहले। ऊ अपना दिव्य दृष्टि से देखले रहले कि कलियुग में धर्म में लोग के रुचि कम हो जाई। धर्म में रुचि कम होखला के चलते आदमी भगवान के विश्वास ना करी, कर्तव्य से परहेज करी ओकरा भीतर नकारात्मकता रही। एगो बड़हन आ पूरा वेद के अध्ययन उनका शक्ति में ना होई। एही से महर्षि व्यास वेद के चार भाग में बाँटलन ताकि कम बुद्धि आ कमजोर स्मृति वाला लोग भी वेद के अध्ययन से लाभ उठा सके।

वेद के अलग-अलग खंड में बांटला के बाद व्यास जी एकर नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद आ अथर्ववेद रखले। एह तरह से वेद के विभाजन के कारण ऊ वेद व्यास के नाम से प्रसिद्ध भइले। ऊ अपना प्रिय शिष्य वैशम्पायन, सुमंतुमुनि, पैल आ जैमिन के ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद आ अथर्ववेद के ज्ञान दिहलें।

वेद में मौजूद ज्ञान के अत्यंत रहस्यमय आ कठिन होखे के कारण वेद व्यास जी पांचवा वेद के रूप में पुराण के रचना कइले, जवना में वेद के ज्ञान के रोचक कथा के रूप में व्याख्या कइल गइल बा। पुराण के ज्ञान ऊ अपना शिष्य रोम हर्षण के देले।

व्यास जी के चेला लोग ओह वेदन के अपना बुद्धि के हिसाब से कई गो शाखा आ उपशाखा में बाँटल। महर्षि व्यास महाभारत के रचना भी कइले रहले। उनका के हमनी के आदि-गुरु मानल जाला। गुरु पूर्णिमा के ई प्रसिद्ध परब व्यास जी के जयंती के रूप में भी मनावल जाला। एही से एह परब के व्यास पूर्णिमा भी कहल जाला। हमनी के अपना गुरु के व्यास जी के हिस्सा मान के उनकर पूजा करे के चाही।

गुरु पूर्णिमा मुहूर्ता

21 जुलाई 2024 के एतवार के पूरा दिन गुरु पूजा के दिन बा।

गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के पूजा कइसे कइल जाला

1. एह दिन प्रातःकाल स्नान पूजा आदि नित्यकर्मों के कs के उत्तम आ शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहि।

2. ओकरा बाद अपना पहिला गुरु आ माई-बाबूजी से आशीर्वाद लेवे के चाहीं।

3. भगवान श्री हरि विष्णु आ भगवान श्री व्यास जी के सुगंधित फल, फूल आदि के चढ़ा के नमन करे के चाहीं।

 

4. गुरु दीक्षा लेला के बाद आप अपना गुरु के पास जाए के चाहीं। ऊंच सजावल आसन पर बइठा के फूलन से माला पहिरा के पूजा करावे के चाहीं।

 

5. एकरा बाद कपड़ा, फल, फूल आ माला चढ़ा के आ अपना क्षमता के हिसाब से पइसा के रूप में कुछ दक्षिणा चढ़ा के उनकर आशीर्वाद लेवे के चाहीं।

 

6. जहाँ भी हमनी के कुछ अच्छा सीखे के मौका मिलेला जवन हमनी के ज्ञान के मजबूत करेला, चाहे ऊ आदमी होखे भा चीज होखे भा बढ़िया किताब, हमनी के ओकरा खातिर दिल से धन्यवाद देवे के चाही।

7. आज के दिन खाली गुरु ही ना, बल्कि जहां से कुछ अच्छा सीखले बानी, जहाँ से बढ़िया मार्गदर्शन आ अच्छा मूल्य मिलल बा, ऊ सब गुरु के श्रेणी में आवेला। एह से हमनी के ओह सब के भी धन्यवाद देवे के चाहीं।

8. गुरु के कृपा से आदमी के दिल से अज्ञान आ अन्हार दूर हो जाला। गुरु के आशीर्वाद हर जीव खातिर लाभकारी, ज्ञानवर्धक आ शुभ होला। संसार के सब ज्ञान गुरु के कृपा से ही प्राप्त होला, एही से गुरु के प्रति हमेशा विश्वास आ समर्पण रहे के चाहीं।

9. गुरु से मंत्र पावे खातिर भी ई दिन सबसे बढ़िया होला, आ गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करे खातिर भी एह दिन के विशेष महत्व बा। एह से एह परब के भक्ति से मनावल जरूरी बा।

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