हिंदी के अधिकाधिक अनुवाद से ज्ञान के भाषा बनावे के बा जरूरत : प्रो. अनिल
गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में मंगर के हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कार्यक्रम आयोजित कइल गइल।
कार्यक्रम के अध्यक्षता करत प्रो. अनिल राय कहलें कि हिंदी के लेके दु तरे के दृष्टि मवजूद बा, एक तरफ हिंदी के उत्तरोत्तर प्रगति आ विकास बा तs दूसरका तरफ बाधा, संकट आ समस्या के दृष्टि लगातार विद्यमान बा। दुनो दृष्टियन खातिर पर्याप्त तथ्य बा। ऊ कहलें कि भारतीय मन में अंग्रेजी के प्रति गहिराह सम्मोहन काम करेला। जरूरत बा हिंदी के अधिकाधिक अनुवाद के माध्यम से ज्ञान के भाषा बनवला के।
हिंदी विभाग के नवागत अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त कहलें कि भारत के दुनिया के ज्ञान परंपरा से निरंतर आदान-प्रदान करत रहला के जरूरत बा। पूर्व अध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी कहलें कि हिंदी दिवस आत्म मूल्यांकन के दिन हs।
अपना संबोधन में प्रो. प्रत्युष कहलें कि हिंदी विभाग भाषा आ साहित्य के विभाग हs। आज हमनी के हिंदी के अमृतकाल में बानी सs। ऊ कहलें कि हिंदी भाषा के संगे-संगे साथ हमनी के आपन मातृभाषा के जीवित राखे के बा। मातृभाषा हमनी के संस्कृति सभ्यता आ परम्परा के पहचान हs।
प्रो. राजेश मल्ल कहलें कि हमनी के आपन भाषा संरक्षण के संगे दोसर भाषा के प्रति सम्मान राखे के चाहीं। प्रो. विमलेश कहलें कि हिंदी दिवस के भारतीय भाषा के रूप में मनावल जाये के चाहीं। हिंदी के जननी हमनी के बोली हई सs आ एही से हिंदी सजल आ बनल बिया।
प्रो. कमलेश हिंदी विभागाध्यक्ष के कार्यभार ग्रहण कइलें
डीडीयू के हिंदी आ आधुनिक भारतीय भाषा आउर पत्रकारिता विभाग में प्रो. कमलेश कुमार गुप्त मंगर के विभागाध्यक्ष के कार्यभार ग्रहण कs लेलें।