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एह साल जिउतिया व्रत पs बन रहल बा खरजीउतिया के संयोग, जानीं पूजा विधि आ व्रत पारन के समय 

11:43 AM Sep 25, 2024 IST | Minee Upadhyay
जिउतिया व्रत पूजा : फोटो
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हिन्दू धर्म में जिउतिया व्रत के खास धार्मिक महत्व बा। एकरा के जीवित्पुत्रिका व्रत आ जिउतिया व्रत के नाम से भी जानल जाला। मान्यता के अनुसार महतारी लोग जिउतिया इs व्रत अपना संतान के दीर्घायु अवुरी सुख खातीर करेली। जिउतिया व्रत पंचांग के अनुसार एकरा के आश्विन महीना के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि के रखल जाला। इs व्रत 3 दिन तक चलेला आ एकरा के सबसे कठिन व्रत में भी गिनल जाला। एह साल 24 आ 25 सितंबर के जिउतिया व्रत मनावल जा रहल बा. एह व्रत में भगवान जीमूतवाहन के पूजा होला। खरजीतिया के शुभ संयोग से लेके पराना तक सब कुछ जानीं.

जिउतिया व्रत पूजा  

ओठगन सबसे पहिले जिउतिया व्रत में होला जवन 23 सितंबर के रात में भइल। 25 सितंबर के जिउतिया व्रत मनावल जाई। एह दिन पूजा के शुभ समय 25 सितंबर के साँझ 4:43 बजे से 6:14 बजे ले बा। जिउतिया व्रत के परना 26 सितंबर के सबेरे 4:35 बजे से 6:11 बजे तक बा। एह साल जिउतिया व्रत पs खरजीउतिया के दुर्लभ संजोग होखे वाला बा. खरजीउतिया के संजोग के बेहद शुभ मानल जाला आ कहल जाला कि जब खरजीउतिया के संजोग होला तबे मेहरारू लोग पहिला बेर जिउतिया व्रत करेले आ एही दिन से ही जिउतिया व्रत करे लागेले।

खरजीउतिया के संजोग तब होला जब मंगल भा शनिचर के अष्टमी रहेला. मानल जाला कि खरजीउतिया पs व्रत राखे वाली औरतन के अपना संतान के अकाल मृत्यु के वरदान मिलेला।

परम्परा के अनुसार जीउतिया व्रत में भगवान जीमूतवाहन के पूजा कइल जाला।  एह दिन आँगन में पोखर बनावल जाला आ ओकरा पर माटी के साथे-साथे गाय के गोबर से लिपल जाला। भगवान जीमूतवाहन, चील आ सियारिन आदि के मूर्ति बना के पूजा कइल जाला। सबके माथे पs सिंदूर से तिलक लगावल जाला, आरती कइल जाला आ व्रत के कहानी पढ़ के पूजा के समापन होला।

 

 

 

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