कारगिल विजय दिवस: कारगिल युद्ध में जान न्योछावर कर देले बिहार के ई वीर बेटा लोग, पढ़ी कारगिल के शौर्य गाथा
कारगिल युद्ध के पच्चीस साल बीत गइल।ओह युद्ध में बिहार भी आपन बेटा गँववले बा। जब ई युद्ध शुरू भइल तs सैकड़न वीर सैनिक देश के सीमा के रक्षा खातिर आपन जान दे दिहले। एह वीर सिपाही में बिहार के बेटा भी शामिल बाड़े। ऊ आपन जान जोखिम में डाल के अपना दुश्मनन के मार दिहले रहले । एह वीर जवानन के याद में 26 जुलाई के विजय दिवस मनावल जाला।
इहे ऊ बलिदानी हवे, जिनका पs बिहार आजो गर्व महसूस करे ला
- मेजर चन्द्र भूषण द्विवेदी (शिवहर)
- नायक गणोश प्रसाद यादव (पटना)
- नायक विशुनी राय (सारण)
- नायक नीरज कुमार (लखीसराय)
- नायक सुनील कुमार (मुजफ्फरपुर)
- लांस नायक विद्यानंद सिंह (आरा)
- लांस नायक राम वचन राय (वैशाली)
- हवलदार रतन कुमार सिंह (भागलपुर)
- अरविंद कुमार पाण्डेय (पूर्वी चम्पारण)
- प्रमोद कुमार (मुजफ्फरपुर)
- शिव शंकर गुप्ता (औरंगाबाद)
- हरदेव प्रसाद सिंह (नालंदा)
- रम्भू सिंह (सीवान)
- रमन कुमार झा (सहरसा)
- हरिकृष्ण राम (सीवान)
- प्रभाकर कुमार सिंह (भागलपुर)
आजो अपना बेटा के शहादत पर गर्व बा
आज भी बिहार रेजिमेंट के वीर जवान के माई दौलती देवी के माधोपुर सुस्ता निवासी कुढ़नी के नमी आँख बा। चेहरा पर उदासी बा। आवाज भी कांप रहल बा। बाकी, हिम्मत, धैर्य आ दिलासा के संगे ऊ बतवेली कि बेटा के खोवे के पीड़ा अभी तक उनका छाती में बा। बाकिर हमरा खुशी बा कि हमार बेटा देश खातिर शहीद हो गइले।
पति की शहादत के बाद मिलल चिट्ठी
सियाचीन में दुश्मनन से लड़त शहीद भइल कारजा थाना मुजफ्फरपुर के फंडा निवासी नायक सुनील सिंह के विधवा मीना कुमारी के कहना बा कि पति के शहीद भइला के बादो उनका लिखल दू गो चिट्ठी मिलल । पति लिखले रहले कि अगर हम सुरक्षित रहेम तs घरे लवटब। लइकन के देखभाल करींहs । 23 जुलाई के मीना के पति नायक सुनील कुमार सिंह सियाचेन ग्लेशियर पs दुश्मन से लड़त रहले। एही बीच कवनो दुश्मन से लड़त घरी ऊ पहाड़ से गिर के शहादत के प्राप्ति कर लिहले। तीन दिन बाद उनकर नश्वर पार्थिव शरीर करजा के फंडा गाँव पहुँच गइल।।
कारगिल युद्ध के 25 साल बीत गइल। जब ई युद्ध शुरू भइल तs सैकड़न वीर सैनिक देश के सीमा के रक्षा खातिर आपन जान दे दिहले। एह वीर सिपाही में बिहार के बेटा भी शामिल बाड़े। ऊ आपन जान जोखिम में डाल के अपना दुश्मनन के मार दिहले रहले। एह वीर जवानन के याद में 26 जुलाई के विजय दिवस मनावल जाला।
खबर भोजपुरी बिहार एह बेटन के याद करत बा आ एह लोग के भावुक श्रद्धांजलि दे रहल बा। पूरा बिहार आज गर्व महसूस कर रहल बा कि एह युद्ध में ओकर माटी के जवान अपना देश खातिर आपन जिम्मेवारी निभवले आ खुशी के संगे आपन जान न्योछावर कs दिहले।
20 साल के उमिर में जवान रमन झा 1 जुलाई 1999 के कारगिल युद्ध में शहादत हासिल कइले। बाबूजी बतावेले कि हमार बेटा अविवाहित रहे। उनकर महतारी उमा देवी अपना बेटा के मौत के झटका ना सह पवली आ 2002 में उनकर मौत हो गइल।
बेटी हर साल अपना बाप के सलाम करेली सs
शिओहर जिला के इतिहास गौरवशाली रहल बा। कारगिल युद्ध में शहीद मेजर चंद्रभूषण द्विवेदी के नाम उल्लेखनीय बा। पूर्णहिया प्रखंड के बखर चंडीहा गांव में जनमल मेजर चंद्रभूषण द्विवेदी कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर कब्जा के दौरान शहीद हो गइले। शहीद द्विवेदी तिलइया सैनिक स्कूल से पढ़ाई कइले रहले। 1982 में एनडीए के परीक्षा पास कs के सैन्य सेवा में दाखिला मिलल।
सेना में नौकरी मिलला के बाद उनकर बियाह 1989 में भावना से हो गइल। दुनों के दुगो बेटी नेहा आ दीक्षा रहे। नेहा एह घरी डाक्टर बाड़ी। छोटकी बेटी दीक्षा द्विवेदी विदेश से पत्रकारिता के पढ़ाई के बाद दिल्ली में काम कर रहल बाड़ी।
शहीद शिवशंकर गुप्ता के बेटा कहलस - हमहूँ भारतीय सेना में ज्वाइन करब
कारगिल युद्ध में शहीद औरंगाबाद के बांचर गांव के शिवशंकर गुप्ता के संतान के अपना पिता के शहादत पs गर्व बा। बेटा के इरादा भारतीय सेना में शामिल होखे के बा।
शिवशंकर बिहार रेजिमेंट के पहिला बटालियन के सदस्य रहले, जवना के कारगिल युद्ध के दौरान मोर्चा पs दुश्मन के भगावे के जिम्मेदारी दिहल गइल रहे। शिवशंकर गुप्ता अपना साथियन के संगे 4 जून 1999 के कारगिल के एगो पहाड़ी पर कब्जा करे के निर्णायक लड़ाई लड़त रहले आ लड़ाई में शहीद हो गइलन । हालांकि ऊ दुश्मनन के भगा देले रहले
शहीद गणेश यादव के संतान के अपना पिता पर गर्व बा
कारगिल के बटालिक सेक्टर के प्वाइंट 4268 पर नायक गणेश यादव चार्ली कंपनी के अगुवाई करत रहले। तब पटना के बिहटा के पाण्डेयचक गाँव के लाल दुश्मन के गोली से शहीद हो गइले। उनकर बहादुरी खातिर उनका के मरणोपरांत विरचक्र से सम्मानित कइल गइल। आज बिहार के गर्व बा रामदेव यादव और बचिया देवी के पुत्र गणेश के शहादत पर। बेटा अभिषेक आ बेटी प्रेम ज्योति के शहीद गणेश के संतान कहला पर गर्व बा। अभिषेक के कहनाम बा कि उनका भी सेना में भर्ती होखे के बा। एकरा खातिर तइयारी शुरू हो गइल बा। जबकि बेटी प्रेम ज्योति डॉक्टर बन के अपना पिता के सपना पूरा कइल चाहतारी।
शहीद रतन सिंह के बाबूजी कहलन - बेटा रहित तs देश सौंप देती।
नवगछिया के गोपालपुर थाना निवासी हविलदार रतन सिंह कारगिल युद्ध में जुबेर पर्वत पर दुश्मनन से लड़त घरी शहीद हो गइलन। जुलाई 1999 के रतन सिंह पाकिस्तानी घुसपैठियन के कुत्सित मंशा के सफल ना होखे दिहलन। जुबेर पर्वत पs एगो चौकी के घेर के आतंकवादियन से लड़त रहल।
फायरिंग में हविलदार रतन सिंह बहुत दुश्मनन के मार के शहीद हो गइले, शहीद के पिता केदार प्रसाद सिंह के कहनाम बा कि हमनी के अपना बेटा के शहादत पs गर्व बा। जदी दोसर बेटा रहित तs देश के रक्षा खातीर सीमा पs भेज देती। हमार बेटा देश के रक्षा खातिर आपन जान देले बा। शहीद बन के ऊ देश, समाज के संगे-संगे हमरा परिवार के भी सम्मान देले बाड़े।
शहीद रतन सिंह के बेटा रूपेश कहतारे कि मातृभूमि के रक्षा खातीर हमार बाबूजी आपन जान देले। हमरा गर्व बा कि हम उनकर बेटा हईं। बाबूजी के शहादत के बाद सरकार हमरा के माई के देखभाल करे के काम देले बिया। हम अपना लइकन के सेना में भेज देब ताकि उहो देश के सेवा कर सके।
नीरज गौना करे ना अइले, उनकर मौत के खबर आइल
उनका गोदी में सात महीना के बच्चा रहे, बियाह के तीन साल हो गइल रहे आ रूबी खुठा में अपना मातृगृह में रहली। साल 1999, जुलाई महीना के रहे। रूबी के मालूम रहे कि कारगिल में पाकिस्तान के संगे युद्ध चलता आ ओ युद्ध में उनकर पति नीरज शामिल बाड़े। उनकर दिल घबरा गइल, रूबी बस दुआ कइली कि नीरज जल्दिए युद्ध में जीत के खबर लेके वापस आ जास आ द्विरागना (गौना) करावे के बाद उनका आ उनकर बेटी के अपना साथे ले जास।
बाकिर 12 जुलाई 1999 उनका खातिर एगो करिया दिन साबित भइल। नीरज गौना करे ना अइले, उनकर मौत के खबर आइल आ सूर्यगढ़ा प्रखंड के श्रृंगारपुर गांव में तिरंगा में लपेटल लाश उनका घरे पहुंचल। पिता योगेन्द्र प्रसाद आपन बेटा, रूबी के पति आ एगो मासूम बच्ची के पिता के गंवा देले रहले। लाल जोड़ी में लवटल दुलहिन उज्जर साड़ी में लवटल।
नालंदा के अपना बेटा हरदेव प्रसाद पs गर्व बा
कारगिल युद्ध में नालंदा के बेटा हरदेव प्रसाद आपन उत्साह, जोश आ ताकत देखवले। ऊ 12 जून 1999 के शहीद हो गइल रहले। हरदेव के जनम 31 मई 1970 के एकंगरसराय के कुकुवर गाँव में भइल रहे। 1988 में बिहार रेजिमेंट दानापुर के पहिला बटालियन में शामिल होखला के बाद हरदेव 1994 में भूटान आ सोमालिया के युद्ध में हिम्मत देखवले। एकरा खातिर उनका के एगो पुरस्कार भी मिलल। हरदेव के एगो बेटा सुधांशु, दू गो बेटी मनीषा आ निशा बाड़ी। ऊ आजो अपना बाबूजी के याद करत रोवत बाड़ी।