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काशी मंदिर ऑनलाइन होई: जैन, बौद्ध मंदिर, गुरुद्वारा में क्यूआर कोड लगावल जाई; पर्यटकन के ई सुविधा मिल जाई

01:35 PM Jul 04, 2024 IST | Raj Nandani
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वाराणसी समाचार : काशी में बढ़त पर्यटकन के अब पर्यटन विभाग विशेष सुविधा देबे जा रहल बा। एकरा खातिर सर्वेक्षण भी कइल गइल बा। मशहूर मंदिरन के बारे में जानकारी अब ऑनलाइन दिहल जाई। मंदिर के स्थापना से ही एकरा में बहुत जानकारी उपलब्ध होई।

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काशी के करीब 700 धार्मिक स्थल के जीर्णोद्धार के तैयारी हो रहल बा। हिन्दू मंदिरन के अलावा एह में जैन, बौद्ध मंदिर आ गुरुद्वारा भी सामिल बाड़ें। जिला के पर्यटन स्थल पर पर्यटकन के पहुँच बढ़ावे के मकसद से मंदिर आ गुरुद्वारा के कायाकल्प कइल जाई।

एकरा खातीर पर्यटन विभाग काशी के धार्मिक स्थल के सर्वेक्षण कइले बा। बौद्ध, जैन मंदिर आ गुरुद्वारा के जीर्णोद्धार के संगे-संगे ओ लोग से जुड़ल साहित्य के ऑनलाइन बनावल जाई। एह धार्मिक जगहन पर क्यूआर कोड लगावल जाई, जेहसे कि पर्यटकन के विस्तृत जानकारी ऑनलाइन मिल सके। पहिला चरण में 300 धार्मिक स्थल के जीर्णोद्धार कइल गइल बा।

पर्यटन उपनिदेशक आरके रावत के मुताबिक काशी के धार्मिक स्थल आ ओ लोग के पौराणिक मान्यता से जुड़ल साहित्य के संग्रह आ सर्वेक्षण के बाद ई प्रस्ताव सरकार के भेजल गइल बा। धार्मिक आ पुरातात्विक विशेषज्ञ से जानकारी एकट्ठा करे के संगे-संगे सात महीना तक स्थलीय सर्वेक्षण कइल गइल।

पहिला चरण में काशी के 300 मंदिरन में क्यूआर कोड लगावल गइल बा आ ओकरा से जुड़ल साहित्य के डिजिटाइज कइल गइल बा। अब दुसरका चरण में काशी के करीब 700 पौराणिक-साहित्यिक मंदिर आ धरोहर के जानकारी एकट्ठा कs के कायाकल्प कइल जाई ।

काशी के मंदिर आ पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी ऑनलाइन बना के आ क्यूआर कोड से स्कैन कs के पर्यटक अपना मोबाइल फोन पs अपना-अपना जगह के बारे में पूरा जानकारी देख सकेले। एह प्रोजेक्ट के कीमत करीब 20 करोड़ रुपया बा।

पर्यटकन के पूरा जानकारी नइखे मिलत

पर्यटन विभाग के अधिकारी के मुताबिक आध्यात्मिक शहर काशी पर्यटक के आकर्षण के केंद्र बन गइल बा। रोज लाखों पर्यटक काशी पहुंचेले। मंदिर आ धरोहर के बारे में जानकारी ना मिलला के चलते पर्यटक हर जगह ना जा पावत बाड़े। पर्यटकन के काशी के प्राचीन पौराणिक वैभव से परिचित करावे आ अधिका से अधिका पर्यटन स्थल पर लोग के सुलभ बनावे के मकसद से ई योजना बनावल गइल बा।

पर्यटन विभाग धार्मिक स्थल के लगे स्टील के साइनेज लगाई। एह सब पर गुरुद्वारा के संक्षिप्त इतिहास होई। मंदिर, गुरुद्वारा आ धरोहर के संक्षिप्त इतिहास लिखल जाई। एकरा पs क्यूआर कोड होई। एहमें विस्तृत इतिहास होखी।पर्यटन विभाग के उप निदेशक आरके रावत बतवले।

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