गोधन कुटाई: एह परब में बहिन देली भाइयन के बद्दुआ, एकर मान्यता जान रउरो रही जाएंब हैरान
भाई दूज परब के पूर्वांचल में गोधन कुटाई परब मानल जाला। ई परब दिवाली के बाद दूसरा दिन मनावल जाला। कुछ लोग एह परब के यम दूज के नाम से भी जानेला। मान्यता के अनुसार यम के मृत्यु के देवता बतावल गईल बा।गाय के गोबर कुटत घरी महिला यम के चुनौती देवेली। अइसन कइला से ऊ अपना भाई के लमहर उमिर के कामना करेले।
पौराणिक मान्यता में बहुत कहानी प्रचलित बा, ओहमें से एगो के अनुसार राजा रहले। उनकर बेटा के बियाह होखे के रहे।
उ अपना बेटी के भी बियाह में बोलवले। एही दौरान बेटी ससुराल से अपना मातृगृह खातिर निकल गईल। रास्ता में केहू बतवलस कि उ अपना भाई के कबो गारी ना देले। ना तs बियाह के दौरान कवनो दुर्घटना में ओकर भाई के मउत हो सकता।
एह से डेरा के राजा के बेटी रास्ता में जवन जंगली जानवर मिलल ओकरा के मारे लगली। आ ऊ अपना भाई के जोर से गारी देली। अइसन करे के पीछे उनकर मंशा रहे कि उनकर भाई लोग लंबा उमिर जिए। अंत में इहे भईल, यमराज दुनो भाई-बहिन के प्रेम देख के राजा के बेटा के जान लेबे के योजना छोड़ देले।
महिला लोग पहिले गोधन के गोबर से आकृति तैयार करेली। एकरा संगे-संगे तेंदुआ, बिच्छू आदि जानवर के आकार भी बनावल जाला। ओकरा बाद जीभ पs अलग-अलग वस्तु रख के भाई के नाम पs गारी देली। जवना में चना, कांटेदार झाड़ी, कंकड़ आदि भी शामिल बा। एह परब के अधिकतर लोग भाई दूज के नाम से मनावेला। पूर्वांचल, बिहार आ झारखंड के इलाकन में एकरा के गोधन कुटाई के परब के रूप में भी जानल जाला।
ई दिवाली के अगिला दिने मनावल जाए वाला परब हs। हालांकि ए साल इ परब दिवाली के एक दिन बाद मनावल गईल, उ एकरा पीछे के कारण बतवले। पंचांग के मुताबिक भाई दुज 14 नवम्बर के दुपहरिया में देखाई देत रहे। जवना के चलते 12 नवम्बर के दिवाली मनावल गईल। बाकिर भाई दूज भा गोधन कुटाई के परब 13 नवम्बर के ना मनावल गइल. 14 आ 15 नवंबर के मनावल गइल।