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Special story : ईंहों के जानी , ईंहों के पहचानी:लोक गीत सी लड़की किताब के लेखिका "आकृति विज्ञ 'अर्पण'

04:14 PM Mar 15, 2024 IST | Minee Upadhyay
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आकृति विज्ञा 'अर्पण के जनम गाँव रायगंज बाजार खोराबार गोरखपुर में भइल। इनकरी बाबूजी के नाव बशिष्ठ मुनि दूबे आ माई के नाव अंजलि प्रभा हs। इनकरी माई- बाबूजी के सपोर्ट हमेसा से रहल बा आ सब काम आकृति के धीरे धीरे होत गईल। स्कूल में काफी लोग के पसंद आवे इनकर लिखल आ पढ़ल। गाँव , समाज के स्थिति देखके कविता पनपे लागल आ कुछ परंपरा से भी मिलल। इनकर नाना बहुत सपोर्ट करत रहलें। दादा जी के साथ गाँव घूमत भी बहुत कुछ सीखे- समझे के मिलल। अउर एहि रुचि के साथे आगे कदम बढ़वली। एs समय इs बनारस में रहेली आ बाटनी में पीएचडी करत बाड़ी।

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लेखन विधा में इs गीत,कविता ,ग़ज़ल , रिपोर्ताज, संस्मरण आदि लिखेली आ हिंदी, भोजपुरी आ अंग्रेजी में पकड़ बहुत बड़िया हs। इनकर एगो पुस्तक 'लोकगीत सी लड़की ' प्रकाशित भइल हs। जेके लोग बहुत पसन्द करत बा। एकरा साथे 1500 से अधिका कार्यक्रमन में प्रस्तुति देले बाड़ी आ संचालनो कइले बाड़ी।

आकृति विज्ञा 'अर्पण के लिखल एगो भोजपुरी कविता-

माथ लगा के चन्नन जइसे,

ए बबुआ ई सोना माटी

बीज लक्ष्य के जम के साध s

दुनिया देखी हिम्मत खांटी ।

 

कदम बढ़ाव धीर धरs तू

धीरे धीरे सब हो जाई ।

तोहरे साथे बरम बाबा

तोहरे साथे काली माई।।

 

खटिया जस जो होई दुनिया,

याद रखs कि तूंही पाटी‌।

दुनिया देखी हिम्मत खांटी.......

 

मेहनत रथवा कबो न रोकिहs

इनके उनके जिन तू तकिहs ।

साध साध के शब्द खरचीहs

आला बाला मत तू बकिहs ।।

 

याद रखs कि करम के खेती

जे जो बोई ऊहे काटी ।

दुनिया देखी हिम्मत खांटी....

 

तू ओह धरती से बाड़s कि

जेह पर गोरख गाथा गइलें

वीर कुंवर के चौड़ा सीना

जियक् कबीरा अलख जगइलें

 

जेकरे टिकुली में हो लासा

ऊहे त माथे पर साटी ।

दुनिया देखी हिम्मत खांटी......

 

अबले जवन सफलता मिलल बा, ओकर पूरा श्रेय आपन बाबूजी बशिष्ठ मुनि दूबे आ माई अंजलि प्रभा के देली आ हमेसा अपने लेखनी के प्रति अग्रसर रहेली।

 

 

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