अतवारी छौंक: 'बात कुछ पुरनका दौर के' जानीं 'महजबीन बानो' से 'मीना कुमारी' आ फेर 'ट्रेजेडी क्वीन' बनले के सफर
खबर भोजपुरी रउरा लोग के सोझा एगो नया सेगमेंट लेके आइल बा , जवना में रउरा के पढ़े के मिली फिलिम इंडस्ट्री से जुड़ल रोचक कहानी आ खिसा जवन बितsल जमाना के रही।
आजू पढ़ी कि महजबीं बानो उर्फ मीना कुमारी उर्फ ट्रेजेडी क्वीन के नाव के असर पुरा जिनगी कइसेे बनल रह गइल.
'आपके पांव देखे, बहुत खूबसूरत हैं. इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा, मैले हो जाएंगे।’ फिलिम ‘पाकीजा’ के इs डायलॉग पढ़त-सुनत मीना कुमारी के चेहरा दिमाग में आ जाला। मीना कुमारी के खूबसूरती आ अभिनय के बात तs बहुते होला बाकिर एs पs बात कइल तss सूरज के दीया देखावे जइसन बा. हमेशा से उनुका अभिनय से बेसी उनुका निजी जिनिगी के चर्चा होखत आइल बा. चाहे ऊ धर्मेन्द्र आ राजकुमार से अफेयर के खबर होखे, पति कमल अमरोही से कड़ुआ रिश्ता होखे भा जिनिगी के आखिरी दौर में बेहद अकेलापन आ पइसा के कमी से जूझले बात होखे.
मीना कुमारी के असली नाव महजबीं बानो हs। मीना कुमारी के नाव आवे पs काजल से भरल बड़- बड़ आँख आ सुन्दर चेहरा दिमाग में आवेला। मीना अपना समय के सबसे बढ़िया अभिनेत्री रहली आ बहुत बढ़िया कवयित्री भी रहली। मीना कुमारी कई गो शानदार फिलिमन में काम कइली। आजो मीना के लोकप्रिय रूप से 'ट्रेजेडी क्वीन' के नाव से जानल जाला। इनके भारतीय सिनेमा के इतिहास के बेहतरीन आ महान अभिनेत्री लोग में गिनल जाला। मीना मात्र 4 साल के उमिर से अभिनय शुरू कs देली। 33 साल के फिल्मी कैरियर में मीना 90 से अधिका फिलिमन में शानदार अभिनय से लोग के दिल जीत लिहले रहली.
मीना के जनम के बाद छोड़ दिहल गइल अनाथालय
मीना कुमारी के जनम 1 अगस्त 1933 के महजबी बानो नाम से अली बक्स आ इकबाल बेगम के घरे भइल रहे। मीना के जनम से उनकर बाबूजी बहुत दुखी रहले, काहे कि अली बक्स के बेटा के चाह रहे। मीना के जनम के बाद उनका के एगो अनाथालय में छोड़ दिहल गइल, बाकी कुछ घंटा बाद ऊ लोग आपन मन बदल के उनका के वापस घरे ले गइले। ऊ अली आ इकबाल के दूसरकी बेटी रहली आ दू गो अउरी बहिन रहली। बड़की के नाव खुर्शीद जूनियर आ छोटकी के नाव महालिका रहे।
मीना के पहिला फिलिम
मीना कुमारी के कबो फिलिम के शौक ना रहे, ना ऊ कबो फिलिम में अभिनय करे के सोचली काहे कि सुरू से ही मीना के स्कूल जाए आ पढ़ाई कइल बहुत पसंद रहे। एकरा बावजूद उनकर माई-बाबूजी उनका के काम करे खातीर फिलिम स्टूडियो में ले जास। फिलिम ‘लेदरफेस’ में निर्देशक विजय भट्ट मीना के कास्ट कइले रहले आ काम के पहिला दिने उनका के 25 रुपिया दिहल गइल । मतलब मीना के पहिला फिलिम के कमाई महज 25 रुपया रहे।
‘लेदरफेस’ 1939 में रिलीज भइल रहे। मीना ई फिलिम तब कइले रहली जब ऊ महज 4 साल के रहली। फिलिम के बाद मीना के स्कूल में भर्ती करावल गइल, बाकी फिलिम में काम के चलते मीना के बहुत बेर क्लास छोड़े के पड़ल। मीना के पिता मास्टर अली बक्स सुन्नी मुसलमान रहले जे भेरा (अब पाकिस्तान में) से पलायन कs के आइल रहले। पारसी रंगमंच के दिग्गज रहलें, हारमोनियम बजावत रहलें, उर्दू कविता लिखलें,आ कुछ फिलिमन में छोट-छोट भूमिका ले निभवले रहलें। मीना कुमारी के महतारी इकबाल बेगम, जिनकर मूल नाव प्रभावती देवी रहे, एगो ईसाई रहली जे बियाह के बाद इस्लाम अपना लिहली। इकबाल बेगम अली बक्स के दूसरकी पत्नी रहली। अली बक्स से मिले आ बियाह करे से पहिले ऊ एगो मंच अभिनेत्री रहली आ कहल जात रहे कि ऊ बंगाल के टैगोर परिवार के हई।
विजय भट्ट मीना के नाव ‘बेबी मीना’ रखले रहले
मीना कुमारी शुरू में अधिकतर विजय भट्ट के प्रोडक्शन में काम कइली जवना में लेदर फेस, अधुरी कहानी, पूजा आ एक ही भूल जइसन फिलिमन शामिल रहे. विजय भट्ट ही रहलें जे 'एक ही भूल' फिलिम के दौरान महजाबीन बानो यानी मानी कुमारी के नाव बदल के "बेबी मीना" कs दिहलें। रामनिक प्रोडक्शन के फिल्म ‘बच्चों का खेल’ मीना कुमारी के नाव पs कास्ट कइल गइल। मीना कुमारी के जिनगी में सबसे बड़ झटका उनका महतारी के मउत पs लागल रहे, जेकर निधन 25 मार्च 1947 के हो गइल रहे। अभिनय के साथे-साथे मीना कई गो फिलिमन में गीत भी गवली, जवना में ‘दुनिया एक सराय’, ‘पिया घर आजा’ आ ‘बिछाड़े बलम’ शामिल बा। 1940 के दशक के अंत ले उनकर ध्यान पौराणिक भा फंतासी फिलिमन के ओर चल गइल रहे। मीना के असली पहचान फिलिम ‘बैजू बावरा’ से मिलल बा।
मीना कुमारी के ज़िंदगी में ख़ुशी आईल, बाकिर कुछ समय खातीर
दुख से घिरल मीना कुमारी के जिनगी में सुख आईल, बाकिर उs सुख भी दुख के कारण बन गईल। पहिलहीं से शादीशुदा निर्देशक कमल अमरोही मीना कुमारी के जिनिगी में सुख के अग्रदूत बन के आइल रहले. मीना कुमारी के कमल अमरोही के संगत बहुत पसंद आईल। 1952 में रिलीज भइल फिलिम ‘तमाशा’ के सेट पs पहिला बेर दुनु जने के मुलाकात के इंतजाम अशोक कुमार कइले रहले. कुछ समय बाद महाबलेश्वर से बंबई लवटत घरी मीना कुमारी एगो गंभीर कार दुर्घटना में घायल हो गईली। जवना के बाद उनुका के पुणे के ससून अस्पताल में भर्ती करावल गईल। कमल अमरोही उनका से मिले खातिर अस्पताल आवत रहले आ जब ऊ ना आवत रहले तs दुनु जने एक दोसरा के चिट्ठी लिखत रहले.
इहे उs समय रहे जब कमल अमरोही अवुरी मीना कुमारी के बीच प्रेम के खिलल रहे। दुनु जाना अपना प्यार के एक डेग अउरी आगे बढ़ा के बियाह कs लेले। एs साधारण बियाह के बारे में केहु के पता ना चलल, बाकिर कुछ समय बाद इs मीडिया में सुर्खी बन गईल।
सुख के नया जगह बनावे के कोशिश में लागल मीना कुमारी के कमल अमरोही के संगे भी जादा सुख ना मिलल। एक ओर उनकर बाबूजी एह रिश्ता से नाराज रहले, दूसरा ओर उनकर वैवाहिक जीवन भी परीक्षा के तहत रहे। कमल अमरोही अवुरी मीना कुमारी के बीच तनाव अवुरी टकराव एतना बढ़ गईल कि दुनो लोग अलग होखे के फैसला कs लेले। दुनो लोग अलग हो गईले बाकिर कबो औपचारिक तौर पs तलाक ना भईल।
मीना कुमारी अभिनेत्री के अलावे कवयित्री भी रहली
मीना कुमारी के एगो बहुते रोचक पहलू ई बा कि अभिनेत्री होखेला के अलावे ऊ कवयित्री भी रहली. मीना कुमारी के कविता उनुका ‘ट्रेजेडी क्वीन’ के भाव के अउरी मजबूत करेला। अपना जीवन के अकेलापन के ऊ अपना कविता में खूबसूरती से व्यक्त कइले बाड़ी. मीना कुमारी कबो ना चाहत रहली कि उनुकर कविता भा गजल कहीं छपे. हालांकि उनकर निधन के बाद उनकर कुछ कविता ‘नाज’ के नाम से छप गईल। गुलजार मीना कुमारी के कविता के संकलन 'तन्हा चाँद' से कइले बाड़े-
चांद तन्हा है आसमां तन्हा
दिल मिला है कहां कहां तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा
थरथराता रहा धुआं तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं
जिस्म तन्हा है और जां तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी
दोनों चलते रहें कहां तन्हा
जलती बुझती सी रौशनी के पर,
सिमटा सिमटा सा एक मकां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे ये जहां तन्हा
मीना लिवर सिरोसिस से रहली पीड़ित
साल 1968 में मीना कुमारी के पता चलल कि ऊ लिवर सिरोसिस से पीड़ित बाड़ी। इनके निधन 31 मार्च 1972 के भइल। उनका निधन के बाद अभिनेत्री नरगिस दत्त, जवन कि उनकर बहुत करीबी दोस्त रहली, उनका के एगो चिट्ठी लिखली। एतने ना, मीना के अंतिम संस्कार के खर्चा नरगिस उठवली. बतावल जाला कि जब मीना के अस्पताल के खर्चा सीमा से बाहर बढ़ गइल रहे तs उनकर पूर्व पति कमल अमरोही लापता हो गइले। कहल जाला कि मीना कुमारी के जीवन में धर्मेंद्र के एगो खास स्थान रहे। मीना के धर्मेन्द्र के पसंद आ गइल रहले ,बाकी गलतफहमी के चलते दुनो के बीच तनाव पैदा हो गइल, जवना के बाद मीना बेमार होखे लगली।
मीना कुमारी के परिवार आर्थिक संकट से उबर गईल, बाकिर उs खुद जिनगी भर दुख के चंगुल से ना बच पवली। अपना जिनगी में जवन कांटेदार आ दर्द भरल राह से गुजरली, ओकरा के कविता में ढाल दिहली
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"आगाज़ तॊ होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
जब ज़ुल्फ़ की कालिख़ में घुल जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
हंस हंस के जवां दिल के हम क्यों न चुनें टुकडे़
हर शख़्स की क़िस्मत में ईनाम नहीं होता
बहते हुए आंसू ने आंखों से कहा थम कर
जो मय से पिघल जाए वो जाम नहीं होता
दिन डूबे हैं या डूबे बारात लिये कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता"
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