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Mangal Pandey Birth Anniversary: मंगल पाण्डेय के कहानी, बलिया के एह छोट गाँव में जनम भइल रहे

01:40 PM Jul 19, 2024 IST | Raj Nandani
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बलिया के एगो छोट गाँव में जनमल मंगल पांडे के के ना जानेला। आजादी के पहिला लड़ाई 1857 के क्रांति रहे जवना में मंगल पांडे के अहम भूमिका रहे अउरी मंगल पांडे से नाराज अंग्रेज उनका के फांसी पर लटका दिहले।

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भारत 15 अगस्त 1947 के आजाद भइल। भारत खातिर आजादी हासिल करे में कई गो महान नायक आपन आपन भूमिका निभवले। बरिसन ले चलल युद्ध में हमनी के कई गो बहादुर बेटा के गँवा दिहनी जा। अइसने एगो लड़ाई 1857 में भइल रहे। दरअसल, 1857 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगला उड़ावल गइल रहे। अंग्रेज के कहनाम बा कि ई सैन्य विद्रोह रहे जबकि हमनी के भारतीय एकरा के स्वतंत्रता आंदोलन के पहिला लड़ाई के रूप में जानतानी। 1857 के क्रांति के शुरुआत बलिया के लाल मंगल पांडेय कइले रहले। 1857 में भारत के पहिला स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे के अहम भूमिका रहे। ओह लोग के वजह से आजादी के लड़ाई जवन ठप हो गइल रहे, तेज हो गइल रहे।

 बलिया जिला में मंगल पांडे के जनम भइल रहे?

मंगल पाण्डेय के जनम उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के अंतर्गत नगवा गाँव में भइल रहे। इनकर जनम 19 जुलाई 1827 के ब्राह्मण परिवार में भइल रहे। मंगल पांडे के पिता के नाम दिवाकर पांडेय रहे। मंगल पांडेय जब 22 साल के रहले तs उहाँ के ईस्ट इंडिया कंपनी में नियुक्ति भइल। ऊ बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के 34 बटालियन में शामिल भइले। एह बटालियन में बहुमत ब्राह्मण रहे। एही कारण से उनकर चयन एह बटालियन में भइल।

कहानी के शुरुआत चर्बी वाला कारतूस से भइ

मंगल पाण्डेय अपना बटालियन के खिलाफ विद्रोह कइले। असल में मंगल पांडेय चर्बी वाला कारतूस खोले से मना कs देले रहले। एही कारण से उनका के गिरफ्तार कs के 8 अप्रैल 1857 के फांसी दिहल गइल। एही विद्रोह के चलते ऊ मशहूर हो गइले। एही कारण से ओह लोग के आजादी के सेना कहल जात रहे। मंगल पाण्डेय के विद्रोही रवैया से 1857 के क्रांति के जन्म भइल जवना से अंग्रेज के नाकाम हो गइल अउरी अंत में भारत के शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से सीधे ब्रिटिश रानी के पास हो गइल।

ग्रीस कारतूस के विवाद का रहे?

दरअसल ब्रिटिश सरकार अपना बटालियन के एनफील्ड राइफल देले रहे। कहल जाला कि एकर मकसद सही रहे। पुरान प्रक्रिया के इस्तेमाल करत बंदूक में गोली लोड करे के पड़ी। ओकरा में गोली भरे खातिर कारतूस के दाँत से खोले के पड़े। एतना समय तक एगो अफवाह फइलल शुरू हो गइल कि गाय-सुअर के चर्बी के कारतूस में इस्तेमाल होखेला जवना के ऊ लोग दांत से काटत रहेले। बस एतने जाने के जरूरत रहे कि मंगल पांडे एकर विरोध करे खातिर। बाकिर अंग्रेज सरकार के उनकर विरोध पसंद ना आइल आ उनका के गिरफ्तार कर लिहल गइल। मंगल पाण्डेय के निर्धारित तिथि से 10 दिन पहिले 8 अप्रैल 1857 के फांसी पर लटका दिहल गइल रहे।

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