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National Handloom Day : अब कठुआ में स्थानीय उत्पाद के जीआई टैग मिल सकेला, बसोहली में लैब तैयार हो रहल बा

09:28 AM Aug 08, 2024 IST | Khabar Bhojpuri Admin
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इहाँ के पेंटिंग आ पश्मिना के भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिलल बा। अब बसोहली में एकर मानक के भी जांच हो जाई।
लाहौर आ बोस्टन में आपन कला साबित करे वाली कठुआ जिला के बसोहली एगो नया छलांग लगावे ला तइयार बा। इहाँ के पेंटिंग आ पश्मिना के भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिलल बा। अब बासोहली में एकर मानक के भी जांच हो जाई। हस्तकरघा आ हस्तशिल्प विभाग जीआई टैग के मानक के जांच खातीर इहाँ लैब बनावे के काम शुरू कs देले बा।
बसोहली में खुले वाला एह लैब में पेंटिंग में इस्तेमाल होखे वाला रंग आ पेंटिंग के हुनर के परीक्षण कइल जाई। बसोहली पश्मिना के धागा के गुणवत्ता आ ओकर कारीगरी के भी इहाँ देखल जा सकेला। एकरा संगे कारीगर के कला के स्थानीय स्तर पs जीआई टैग मिल सकता। एकर फायदा ई होई कि कला प्रेमियन के असली पेंटिंग आ पश्मिना उत्पाद खरीदे में आसानी होखी। एह उत्पाद के अपना भौगोलिक क्षेत्र से बाहर केहू दोसर नकल ना कर पाई। आजकल बसोहली के रैहान बटाडा इलाका में टेस्टिंग लैब के काम तेजी से चल रहल बा।

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बसोहली पेंटिंग के कारीगर में कमी आ रहल बा
4 अक्टूबर 2023 के बासोहली पेंटिंग के भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) मिलला के बाद अब ई कारीगरी बासोहली के देश अवुरी दुनिया में पहचान बना देले बा। भारत आ विदेश से कला प्रेमी हर साल इहाँ पेंटिंग देखे आवेले। एक समय रहे जब बसोहली के चित्रकला के संस्था के रूप में देखल जात रहे। वर्तमान में इहाँ के पेंटिंग नया पीढ़ी तक पहुंचे के बजाय मरल शुरू हो गइल बा। एतने ना, एह शहर के पेंटिंग से जुड़ल लोग भी अब कुछ लोग तक सीमित बा।

पशम से पश्मिना तक के सफर
पशम के मतलब फारसी में ऊन होला। एह कला के शुरुआत स्थानीय कारीगर लोग कइले रहे जे 14वीं सदी में राजा नेपोलियन के पहिला पश्मिना शाल उपहार में दिहले रहे। 31 मार्च 2023 के बहुत दिन बाद बसोहली पश्मिना के जीआई टैग मिलल। स्थानीय निवासी के कहनाम बा कि बासोहली के बाद कश्मीर में पश्मीना के शुरूआत भइल रहे। पश्मिना के ऊन खाली लेह के भेड़ से मिलेला। एकर कताई आ बुनाई के काम खाली जम्मू संभाग के श्रीनगर आ बासोहली में होला। बासोहली में 1827 में 173 लोग एह धंधा से जुड़ल रहे। हीरानगर में 1956 में पहिला कताई आ बुनाई के केंद्र खुलल रहे। छह साल बाद एकरा के बासोहली में शिफ्ट कर दिहल गइल। शुरुआती दौर में आठ से नौ हजार कारीगर एह उद्योग में लागल रहले। इनकर संख्या में काफी कमी आइल बा।

ई जगहन के शोभा बढ़ा रहल बा बसोहली के चित्रकला
बोस्टन (अमेरिका) ललित कला संग्रहालय
लाहौर के केंद्रीय संग्रहालय
नई दिल्ली, राष्ट्रीय संग्रहालय
जम्मू, डोगरा आर्ट संग्रहालय
श्रीनगर, संग्रहालय
जीआई टैगिंग के मानक के परीक्षण खातिर बसोहली के रैहान इलाका में एगो टेस्टिंग लैब बनावल जा रहल बा। एकरा तहत स्थानीय उत्पाद के मानक के जांच के बाद जीआई टैग जारी कइल जाई। एह उत्पाद सभ के संरक्षण आ बेहतरी खातिर ई एगो महत्वपूर्ण कदम बा। जइसे-जइसे स्थानीय कलाकारन में जागरूकता बढ़ेला, अउरी कई गो उत्पाद भी एह श्रेणी में आ सकेला।
-डॉ रोहिणी, सहायक निदेशक, हथकरघा और हस्तशिल्प विभाग

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