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16 नवंबर के काहे मनावल जाला National Press Day? जानी इतिहास

11:42 AM Nov 16, 2023 IST | Minee Upadhyay
16 नवंबर के काहे मनावल जाला national press day  जानी इतिहास
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भारत में आजादी के बाद से प्रेस के अहम भूमिका रहल बा। भारत में अंग्रेज शासन के दौरान प्रेस क्रांतिकारी लोग के सबसे बड़ हथियार रहे। भारत के आजादी में प्रेस के निर्णायक भूमिका रहल बा। हर साल 16 नवम्बर के राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनावल जाला जवना से भारतीय प्रेस काउंसिल (पीसीआई) के स्वीकार आ सम्मान दिहल जाला। मीडिया के लोकतंत्र के चउथा स्तम्भ कहल जाला। बाकिर का रउरा जानल चाहत बानी कि 16 नवम्बर के राष्ट्रीय प्रेस दिवस काहे मनावल जाला? एकर इतिहास का बा? अगर ना तs हम रउरा सभे के ई खबर एह खबर में बतावे जा रहल बानी।

अकबर इलाहाबादी के ई मशहूर लाइन ‘खींचो न कमान, न तलवार निकालो जब तोप मुकाबिल हो तब अखबार निकालो'’ प्रेस के महत्व आ ताकत के बारे में जागरूक कs देला। भारत में अंग्रेज शासन के दौरान क्रांतिकारी लोग के सबसे बड़ हथियार प्रेस रहे| भारत में प्रेस के वॉच डॉग आ प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के नैतिक वॉच डॉग कहल जाला। अइसना में कवनो देश में प्रेस के आजादी के ओह देश के लोकतंत्र के आईना कहल गलत ना होई।

एही दिने भारतीय प्रेस काउंसिल के कामकाज शुरू भइल

भारतीय प्रेस काउंसिल (पीसीआई) के स्थापना के याद में देश भर में हर साल 16 नवंबर के राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनावल जाला, जवन वैधानिक आ अर्ध न्यायिक प्रतिष्ठान हs। भारतीय प्रेस काउंसिल आजुए के दिने काम करे लागल। एह दिन भारत में एगो स्वतंत्र आ जिम्मेदार प्रेस के मौजूदगी ह। प्रतिकूल परिस्थिति के बावजूद पत्रकारन के समाज के आईना कहल जाला, जवन सच्चाई के देखावेला। ई दिन प्रेस के आजादी आ समाज के प्रति ओकर जिम्मेदारी के प्रतीक ह।

महत्व

मुक्त प्रेस के अक्सर बेजुबान लोग के आवाज कहल जाला, ताकतवर शासक आ दलित, पिछड़ल आ गरीब के कड़ी ह। ई व्यवस्था के बुराई के सामने ले आवेला आ लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के मूल्यन के मजबूत करे के प्रक्रिया में सरकार के मदद करेला। कवनो आश्चर्य नइखे कि एकरा के मजबूत लोकतंत्र के चार गो स्तंभन में से एगो काहे कहल जाला, आ एकमात्र अइसन स्तंभ जहाँ आम लोग सीधे भाग लेला। बाकी 3 गो कार्यपालिका, विधायिका आ न्यायपालिका हवें जवन लोग के चुनिंदा समूह से बनल बा।

भारत खातिर परिषद बेहद महत्वपूर्ण बा काहे कि एकर निर्माण स्वभाव से मुक्त प्रेस के रक्षा खातिर भइल रहे| एह से संगठन लगातार एह बात के सुनिश्चित करे के काम करत रहेला कि पत्रकारिता के विश्वसनीयता से समझौता ना होखे।

इतिहास

साल 1956 में पहिला प्रेस आयोग वैधानिक प्राधिकरण वाला निकाय बनावे के फैसला कइलस। पत्रकारिता के नैतिकता के कायम राखे के जिम्मेदारी केकरा दिहल जा सकेला। आयोग के लागल कि प्रेस से जुड़ल आ कवनो मुद्दा पs मध्यस्थता करे खातिर एगो प्रबंधक निकाय के जरूरत बा। साल 16 नवम्बर 1966 में पीसीआई (भारतीय प्रेस काउंसिल) के गठन भइल आ ओकरा बाद हर साल 16 नवम्बर के राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनावल जाला जवना के परिषद के स्थापना के याद में कइल जाला।

भारतीय प्रेस काउंसिल के आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, परिषद के अध्यक्षता परंपरागत रूप से सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करेले अवुरी एकरा में 28 अतिरिक्त सदस्य बाड़े, जवना में से 20 लोग भारत में संचालित मीडिया के सदस्य बाड़े। एह में संसद के सदन से पांच सदस्य के नामांकन होला आ बाकी तीन सदस्य सांस्कृतिक, कानूनी आ साहित्यिक क्षेत्र के प्रतिनिधित्व करेलें।

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