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'नौटंकी' कलाकार रामपत सिंह भदौरिया के कानपुर में निधन, यूट्यूब के असली राजा रहले 

05:29 PM May 07, 2024 IST | Sonu Kishor
 नौटंकी  कलाकार रामपत सिंह भदौरिया के कानपुर में निधन  यूट्यूब के असली राजा रहले 
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पहिले के जमाना में नाटक के एगो अलगे चलती रहे। गाँवे - गाँवे जाके आ डुग- डुगी बजा के लोग के जुटा के नौटंकी कार्यक्रम के आयोजन कइल जात रहे। नाटक के दुनिया में रामपत सिंह भदौरिया बड़ नाम रहले, पिछला सोमार के कानपुर के एगो अस्पताल में उनकर निधन हो गइल। रामपत सिंह भदौरिया ना खाली अपना नौटंकी खातिर मशहूर रहले बल्कि यूट्यूबो के राजा रहले।

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चार दशक से अधिका समय से ‘नौटंकी’ के हर जगहा ले जाए वाला आ सभका के हँसावे वाला आपन वर्ल्ड स्टार रामपत सिंह भदौरिया के सोमार (6 मई) के 59 बरीस के उमिर में निधन हो गइल. विदेशो में आपन पहचान बनावे वाला भदौरिया के बहुत दिन से कानपुर के एगो अस्पताल में इलाज चलत रहे।

बदलत जमाना में मनोरंजन के कई गो साधन उपलब्ध बा, एकरा बावजूद रामपत बहुत दिन तक आपन महत्व बनावे राखे में कामयाब रहले, जब तक कि उऽ बेमार ना पड़ गइले, उऽ देश के अलग-अलग शहर में शो करत रहले, जहां उनका प्रशंसक लो के जमवरो जुटत रहे। नौटंकी के दुनिया के राजा रामपत सिंह भदौरिया के निधन से नुक्कड़ नाटक से जुड़ल दुनिया के लोग में शोक के लहर बा।

रामपत सिंह भदौरिया के आइल रहे पैरालाइसिस अटैक 

रामपत अपना घरे जात घरी अचानके गिर गइले, जेकरा बाद उनका गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचावल गइल।  पैरालाइसिस अटैक अइला के बाद परिवार के लोग उनुका के एलएलआर अस्पताल में भर्ती करावल। अपना दमदार नाटक के आधार पs रामपत सिंह भदौरिया देश के अलग-अलग हिस्सा में आपन जगह बना लेले रहले।

रामपत सिंह भदौरिया के निधन के खबर के बाद उनकर आखिरी झलक देखे खातिर प्रशंसक के घर के बहरी देखल गइल। बता दीं कि रामपत सिंह भदौरिया अपना नाटक में दोहरा अर्थ वाला शब्दन के प्रयोग करत रहले। उनका पs एगो डर्टी डॉक्यूमेंट्री' बनावल गइल बा।

रामपत सिंह भदौरिया 43 साल से नौटंकी के विधा से जुड़ल रहले।

11 अक्टूबर 1965 के कल्याणपुर में जनमल रामपत सिंह भदौरिया वर्तमान में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिला के अंतर्गत किडवाई नगर के बगही में रहत रहले। पिछला 43 साल से उऽ नौटंकी विधा से जुड़ल रहले। उनका नौटंकी के वीडियो यूट्यूब पs बहुते पसंद  कइल जात रहे।

एकरा अलावा ग्रामीण इलाका में उनुकर नाटक देखे वाला लोग के भारी संख्या रहे। ई उऽ दौर रहे जब इंटरनेट, मोबाइल आ टीवी के प्रचलन ना रहे। हालात अइसन रहे कि रामपत के नाटक सुने खातिर गाँव-घर में डुग्गी मार के नाटक के संदेश पहुंचावल जात रहे। परिवार में  रामपत के पत्नी रानीबाला आ तीन गो बियहल बेटी बाड़ी।

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