टेक्नोलॉजी
खेल | कब्बड्डीक्रिकेटफुटबॉलबैडमिंटनहॉकी
मनोरंजन | सीरियलसिनेमासंगीतशार्ट स्टोरीजवेब सीरीजवीडियोडॉक्यूमेंट्री
राजनीतिविविध
व्यापार | अर्थव्यवस्थाउधारडिजिटल मुद्रानिवेशपूंजीरियल एस्टेटशेयर बाजार
शासन-प्रशासन | अपराधकानूनदुर्घटनासामाजिक योजना
शिक्षा
लाइफस्टाइल | आयुर्वेदखानपानसेहतव्यायामरोग एवं उपचारयोगब्यूटी टिप्सघरेलू उपचार
फोटो स्टोरीपर्यटन स्थल
धरम-करम | राशिफलमान्यतात्यौहारतीर्थ स्थलअंधविश्वास
देस-बिदेस
साहित्य | उपन्यासकविताकहानी
स्पेशल स्टोरीबड़ी खबरें
Advertisement

Navratri 2024 Day 9: नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री के पूजा करीं, पूजा के विधि आ महत्व जानीं

06:19 AM Apr 17, 2024 IST | Raj Nandani
Advertisement

नवरात्रि 2024 : नवरात्रि पूजा के नौवां आ अंतिम दिन देवी दुर्गा के नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री के पूजा होला। माई के ई रूप उहे ह जवन सब उपलब्धि के दान करेले।

Advertisement

नवरात्रि के पूजा के नौवां आ अंतिम दिन देवी दुर्गा के नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री के पूजा होला। माई के ई रूप उहे ह जवन सब उपलब्धि के दान करेले। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार आठ गो सिद्धि बा। माँ सिद्धिदात्री भक्त आ साधक लोग के ई सब उपलब्धि उपलब्ध करावे में सक्षम बाड़ी। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव जी उहाँ के कृपा से ही ई उपलब्धि हासिल कइले रहले। उनकर दयालुता के चलते भगवान शिव के आधा शरीर देवी के शरीर हो गइल, एही से उ लोग के बीच अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हो गइले।

पूजा के महत्व

एह दिन एह देवी के संस्कार से आ पूरा मन से पूजा कइला से भक्त के सगरी उपलब्धि के प्राप्ति होला। ब्रह्मांड में कवनो चीज ओकरा खातिर असंभव ना रहेला, ओकरा में हर जगह जीत हासिल करे के ताकत बा। सिद्धिदात्री के देवी सरस्वती के रूप भी मानल जाला, जे अपना महान ज्ञान आ उज्जर वस्त्र से सजल सुरीला आवाज से अपना भक्तन के सम्मोहित करेली। उनकर पूजा कइला से भक्तन के सब मनोकामना पूरा हो जाला। भक्त लोग के पूजा कइला से यश, बल, यश आ धन के प्राप्ति होला। माई के आराधना से भक्त लोग के संसार में धर्म, धन, काम आ मोक्ष के प्राप्ति होला।

पूजा के तरीका 

सबसे पहिले कलश के पूजा करे के चाही आ ओकरा में स्थापित सभ देवी-देवता के ध्यान करे के चाही। रोली, मोली, कुमकुम, पुष्प चुनरी आदि के साथ भक्ति से माई की पूजा करें। देवी के पुड़ी, पूरी, खीर, चना आ नारियल चढ़ाईं। एकरा बाद माई के मंत्र के जप करे के चाही। एह दिन नौ गो लइकी के घर में खाना खियावे के चाहीं। लइकिन के उमिर दू साल से ऊपर आ 10 साल तक होखे के चाहीं आ ओह लोग के साथे बटुक के रूप धारण करे वाला लइका के भी लइकिन के साथे बइठ के खाना खियावे के चाहीं। नव-दुर्गा में सिद्धिदात्री आखिरी हई आ उनकर पूजा कइला से भक्तन के सगरी मनोकामना पूरा हो जाला ।

कथा के वर्णन 

जब सब देवता राक्षस महिषासुर के अत्याचार से परेशान होके भगवान शिव आ भगवान विष्णु के पास पहुँचले तबे उहाँ मौजूद सभ देवता से एगो प्रकाश निकलल आ ओह प्रकाश से एगो दिव्य शक्ति के निर्माण भइल, जवन रहे माँ सिद्धिदात्री कहल जाला। दुर्गासप्तशती में उल्लेख बा कि भगवती के चेहरा भगवान शिव के महिमा से, देवी के केश यमराज से, स्तन विष्णु से, कमर इंद्र से, जांघ वरुण से, दुनो गोड़ ब्रह्मा से, पैर के अंगूरी से आइल सूर्य से आ अँगुरी वायु से देवी के नाक कुबेर से बनल रहे, देवी के सुन्दर दाँत प्रजापति से बनल रहे सभे देवता आपन शक्ति मिला के देवी के शस्त्र उपलब्ध करवले। एह तरह से माई महिषासुर के मार दिहली।

पूजा मंत्र

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी

 

Tags :
2024 NavratriBhojpuri devotionalBhojpuri khabarBhojpuri News Navratri Specialchaitra NavamiChaitra NavratriChaitra Navratri SpecialKhabar Bhojpur NewsMata Siddhi datriMata Siddhi datri ka MantraMata siddhidatri ki kahaninews hindiRam NavamiRam Navami Specialramnavmi 2024
Advertisement
Next Article