वक्फ एक्ट में अब बड़ बदलाव के तइयारी में मोदी सरकार, अधिकार पs लागी लगाम, संसद में रखल जाई बिल
वक्फ बोर्ड देश भर में लाखों करोड़ रुपया के संपत्ति पs नियंत्रण राखेला। मस्जिद, मदरसा आ कब्रिस्तान के जमीन के रखरखाव के जिम्मेदारी उनका पर बा। हालांकि अब सरकार अपना अधिकार में कुछ बदलाव करे के तइयारी में लागल बिया।
अब सरकार वक्फ बोर्ड के लेके एगो बड़ कदम उठावे जा रहल बिया। एकरा तहत कवनो संपत्ति के 'वक्फ संपत्ति' घोषित करे आ ओकरा पs नियंत्रण करे के अधिकार पs रोक लगावल चाहतिया। सूत्र बतवले कि शुक्रवार के सांझ के मंत्रिमंडल में वक्फ एक्ट में 40 बदलाव पs चर्चा भइल। एहमें देश भर में लाखों करोड़ रुपिया के संपत्ति पर नियंत्रण राखे वाला वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र के जाँच करे वाला लोग भी शामिल बा।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ एक्ट में प्रस्तावित एगो बड़ बदलाव के मुताबिक, जदी वक्फ बोर्ड कवनो संपत्ति पs दावा करी तs ओकर सत्यापन अनिवार्य रूप से होई। साथही ओह संपत्तियन में सत्यापन अनिवार्य बनावे के प्रस्ताव दिहल गइल बा जहाँ वक्फ बोर्ड आ एगो आम आदमी का बीच लड़ाई चलत बा।
बियफे के साँझ मंत्रिमंडल के फैसला पर भइल आधिकारिक ब्रिफिंग में एह कदम के जिक्र ना कइल गइल। हालांकि टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक सूत्र संकेत देले बाड़े कि अगिला सप्ताह वक्फ एक्ट में संशोधन के विधेयक संसद में पेश कइल जा सकता।
सूत्र इहो बतवले कि संपत्ति के अनिवार्य सत्यापन के दु प्रावधान, जवना से वक्फ बोर्ड के मनमाना अधिकार पs लगाम लागी, ए कानून में प्रस्तावित प्रमुख संशोधन बा। देश भर में कुल लगभग 9.4 लाख एकड़ के 8.7 लाख से अधिका संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में बा।
रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्र के कहनाम बा कि अइसन कानून के जरूरत एहसे पैदा भइल कि मुस्लिम बुद्धिजीवी, महिला आ शिया आ बोहरा जईसन अलग-अलग संप्रदाय के लोग बार-बार मौजूदा कानून में बदलाव के मांग कइले बाड़े। ऊ एह बात पs जोर देले कि संशोधन के ले आवे के तैयारी 2024 के लोकसभा चुनाव से बहुत पहिले शुरू हो गइल रहे। ऊ इहो जोड़ले कि ओमान, सऊदी अरब आ बाकी इस्लामी देश के कानून पs नजर डालला पs पता चलता कि ए देश में से कवनो देश कवनो एक संस्था के एतना व्यापक अधिकार नइखे देले।
साल 2013 में यूपीए सरकार के दौरान मूल कानून में संशोधन कs के वक्फ बोर्ड के अउरी बिस्तार से अधिकार दिहल गइल जे वक्फ के अधिकारी, अलग-अलग संपत्ति मालिक आ भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण समेत कई गो राज्य संस्था सब के बीच बिबाद के प्रमुख कारण रहल बा।