भ्रामक विज्ञापन मामिला में पतंजलि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कs बिना शर्त के मंगले माफी
पतंजलि आयुर्वेद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कs के भ्रामक विज्ञापन से जुड़ल एs मामिला में बिना शर्त माफी मंगले बाड़े। अवमानना नोटिस के कवनो जवाब ना देवे के चलते बाबा रामदेव अवुरी आचार्य बालकृष्ण दुनो के 2 अप्रैल के अदालत में साक्षात हाजिर होखे के निर्देश दिहल गईल रहे। एगो संक्षिप्त हलफनामा में आचार्य बालकृष्ण कहले कि उनुका कंपनी के विज्ञापन पs अफसोस बा, जवना में 'अपमानजनक वाक्यांश' बा। पिछला सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट रामदेव आ आचार्य बालकृष्ण के नोटिस के कवनो जवाब ना देला के बाद 2 अप्रैल के कोर्ट में साक्षात हाजिर होखे के निर्देश देले रहे।
जस्टिस हिमा कोहली आ जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के पीठ कंपनी आ बालकृष्ण के कड़ा अपवाद ले लिहले रहुवे कि ऊ पहिले जारी अदालत के नोटिस के जवाब ना दाखिल कइले रहुवे। उनुका के एगो नोटिस जारी कs के पूछल गईल कि अदालत के दिहल उपक्रम के प्राइमा फेसी उल्लंघन करे के आरोप में उनुका खिलाफ अवमानना के कार्रवाई काहें ना कईल जाए। पीठ भी रामदेव के नोटिस जारी कs के पूछले रहे कि उनुका खिलाफ अवमानना के कार्रवाई काहें ना सुरू होखे के चाही। 'इंडियन मेडिकल एसोसिएशन' (आईएमए) के ओर से एगो याचिका पs शीर्ष अदालत सुनवाई करत रहे, जवना में रामदेव पs कोविड विरोधी टीकाकरण अभियान अवुरी आधुनिक दवाई के खिलाफ अभियान चलावे के आरोप लागल रहे।
कोर्ट कहलस कि रामदेव के कारण देखावे के नोटिस जारी कईल उचित समझता, काहेंकी पतंजलि के ओर से जारी विज्ञापन 21 नवंबर 2023 के अदालत में दिहल गईल हलफनामा के विषय बा। निर्देश दिहलस कि अगिला सुनवाई में रामदेव आ बालकृष्ण साक्षात हाजिर होखस। कोर्ट कहले रहे कि, 'तथ्य अवुरी परिस्थिति के देखत सुनवाई के अगिला तारीख पs प्रतिवादी संख्या 5 (पतंजलि आयुर्वेद) के प्रबंध निदेशक के मौजूदगी के निर्देश दिहल उचित मानल जाता।' जाने खातिर कि पतंजलि आ अवमानना के कार्यवाही में जारी नोटिस पs बालकृष्ण आपन जवाब काहे नइखन दाखिल कइले?