Karpoori Thakur के भारत रत्न, जानीं उनकरी जीवन से जुड़ल रोचक खिस्सा; कर्पूरीग्राम के कण-कण में बाटे जननायक के ईयाद
भारत सरकार बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के जन्मशताब्दी से एक दिन पहिले भारत रत्न से सम्मानित करे के एलान कइले बिया।
राज्य के राजनीति के मूल आधार कैश, कास्ट अवुरी क्रिमिनल रहल बा। अयीसन जमीन पs कर्पूरी ठाकुर के राजनीति सिर्फ उनुका खास गुण के चलते उनुकर जीवन भर चलत रहल। उs 1952 से लगातार विधायक के पद जीतत रहले, खाली 1984 के लोकसभा चुनाव में हार गईले। उs एक बेर उपमुख्यमंत्री, दु बेर मुख्यमंत्री अवुरी दशकों तक विधायक अवुरी विपक्षी पार्टी के नेता रहले।
वर्तमान राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश के कहनाम बा कि, कर्पूरी जी अपना खातीर कुछ ना कईले। घर तक ना बनवले। एक बेर उनकर घर बनावे खातिर 50 हजार ईंट भेजल गइल रहे, लेकिन घर बनावे के बजाय उs ओह ईंट से स्कूल बनवले। इहे विशेषता कर्पूरी जी के कास्ट आ क्रिमिनल अवस्था में एगो वर्ग के नेता बना दिहलस।
अपना पत्रकारिता के कैरियर के याद करत हरिवंश लिखले बाड़न कि राज्य में जहाँ जहाँ कवनो बड़हन घटना घटल रहे, ओहिजा पहिले पहुँचे वाला नेता लोग में ऊ शामिल रहले। इहे कारण रहे कि जिंदा रहते उनुका जननायक के उपाधि मिलल।
चौदह साल के उमिर में नवयुवक संघ के स्थापना
उनकर याद कर्पूरीग्राम के हर कोना में मौजूद बा। स्वतंत्रता सेनानी आ शिक्षक के रूप में आपन सार्वजनिक जीवन के शुरुआत करे वाला जननायक के जनम 24 जनवरी 1924 के समस्तीपुर के पितौंझिया में भइल रहे। अब एह गाँव के कर्पूरीग्राम के नाम से जानल जाला।
महज 14 साल के उमिर में उs अपना गांव में युवा संघ के स्थापना कईले। गांव में होम विलेज लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन बनले। 1942 में पटना विश्वविद्यालय पहुंचला के बाद स्वतंत्रता आन्दोलन आ बाद में समाजवादी पार्टी आ आंदोलन के एगो प्रमुख नेता बनले।
1952 में भारत गणराज्य के पहिला आम चुनाव में समस्तीपुर के ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनल गइलें। तब 31 साल के रहले। संसदीय गतिविधि में ना खाली दक्षता देखवले, समाजवादी आंदोलन के जमीन पs उतारे के पूरा कोशिश भी कईले।
उनुकर बेटा सह राज्यसभा सदस्य रामनाथ ठाकुर के कहनाम बा कि कर्पूरी जी आचार्य नरेंद्र देव अवुरी जयप्रकाश नारायण के दबाव पs ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े खातीर तैयार हो गईले, लेकिन उनुका लगे पईसा ना रहे। मजदूर चंदा इकट्ठा कइले। तब कर्पूरी जी तय कइलन कि चवन्नी-अठन्नी रुपिया आ 2 रुपिया से अधिका के योगदान ना लेबे के पड़ी।
जयप्रकाश नारायण के पत्नी प्रभावती देवी के निहोरा पs उनुका से पांच रुपिया के चंदा स्वीकार कईल गईल। समाजवादी नेता दुर्गा प्रसाद सिंह के कहनाम बा कि हर बेर उs दान में मिलल पईसा से चुनाव लड़त रहले। ऊ खुदे हर पइसा के हिसाब रखले रहले। निजी काम में एको पइसा भी ना खरच कइले। उनकर आत्म-अनुशासन, नैतिक जिद आ प्रतिबद्धता 17 फरवरी 1988 के उनकर विदा तक जारी रहल।