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SC: किशोरी लड़िकियन के अपना इच्छा पर काबू राखे के सलाह देबे वाला एचसी के फैसला रद्द कर दिहल गइल; जज लोग पर सुप्रीम कोर्ट के कड़ा टिप्पणी

10:56 AM Aug 21, 2024 IST | Raj Nandani
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कलकत्ता हाईकोर्ट पछिला साल 18 अक्टूबर के दिहल फैसला में एगो आदमी के बरी करत कहले रहे कि दुनो लोग के बीच रोमांटिक रिश्ता बा। हाईकोर्ट छोट लईकी आ लईकन के यौन इच्छा पs काबू राखे के सलाह देले रहे। शीर्ष अदालत फैसला में कहलस कि एह फैसला में अप्रासंगिक आ बेमतलब के सामग्री ना हो सके।

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सुप्रीम कोर्ट कहलस कि जज लोग के काम एह मामिला में फैसला देबे के होला ना कि प्रचार कइल। किशोरी लड़िकियन के अपना यौन इच्छा पर काबू राखे के सलाह देबे वाला कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसला के सर्वोच्च अदालत रद्द कर दिहलस। नाबालिग लईकी के यौन उत्पीड़न के मामला में हाईकोर्ट एगो आदमी के बरी कs देले रहे, काहेंकी लईकी ओकरा से बियाह कs लेले रहे। सुप्रीम कोर्ट आरोपी के सजा बहाल क देलस।

जस्टिस अभय एस ओका आ जस्टिस उज्जल भुइयां के पीठ हाईकोर्ट के टिप्पणी से असहमति जतवलस आ ओकरा के खारिज कर दिहलस । पीठ कहलस कि, अदालत के फैसला में जज लोग के अलग-अलग विषय पs निजी राय नइखे हो सकत। जज के फैसला करे के पड़ी आ प्रचार ना करे के पड़ी । हाईकोर्ट के फैसला के खारिज करत पीठ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के धारा 376 आ पीओसीएसओ के धारा 6 के तहत निचला अदालत के सजा के बहाल कs देलस। संगही आरोपी के सजा बहाल कs दिहलस।

पीठ कहलस कि, फैसला ना तs थीसिस हs, ना साहित्य के टुकड़ा। हाईकोर्ट के फैसला में नवकी पीढ़ी के सलाह आ विधायिका के सलाह के बारे में जज के निजी राय बा। हाईकोर्ट के टिप्पणी एकदम अप्रासंगिक बा। अपील में दोषी ठहरावे के क्रम पर विचार करत घरी अदालत के फैसला में तथ्य के संक्षिप्त बयान, अभियोजन पक्ष आ बचाव पक्ष के ओर से पेश सबूत के प्रकृति (अगर कवनो होखे), पक्षकारन के ओर से दिहल गइल प्रस्तुति, जवना के आधार पs विश्लेषण शामिल होई सबूत के पुनर्मूल्यांकन आ आरोपी के दोषी साबित करे भा आरोपी के बरी करे के कारण होखे के चाहीं।

 हाईकोर्ट यौन इच्छा पs नियंत्रण राखे के सलाह देले रहे

कलकत्ता हाईकोर्ट पछिला साल 18 अक्टूबर के दिहल फैसला में एगो आदमी के बरी करत कहले रहे कि दुनो लोग के बीच रोमांटिक रिश्ता बा। हाईकोर्ट छोट लईकी आ लईकन के यौन इच्छा प काबू राखे के सलाह देले रहे। शीर्ष अदालत फैसला में कहलसि कि एह फैसला में अप्रासंगिक आ बेमतलब के सामग्री ना हो सके।

 

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