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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में नया आपराधिक कानून के खिलाफ सुनवाई होई, दावा कइल जाता कि बहुते खामी बा

11:00 AM May 20, 2024 IST | Raj Nandani
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याचिका में आरोप लगावल गइल बा कि नया आपराधिक कानून बहुते कड़ा बा आ एहसे देश में पुलिस शासन स्थापित हो जाई । इ कानून देश के जनता के मौलिक अधिकार के हनन करता।

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तीन गो नया आपराधिक कानून का खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कइल गइल बा। सुप्रीम कोर्ट एह याचिका पर सोमवार का दिने सुनवाई करी । याचिका में दावा कइल गइल बा कि नयका आपराधिक कानून में बहुत

विसंगति बा। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी आ जस्टिस पंकज मित्तल के अवकाश पीठ ए याचिका के सुनवाई करी।

याचिका में उठल सवाल

अधिवक्ता विशाल तिवारी तीन गो नया आपराधिक कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कइले बाड़न । याचिका में कहल गइल बा कि नया आपराधिक कानून लागू करे पर रोक लगावे के मांग कइल गइल बा । आरोप बा कि संसद में एह कानूनन पs बहस ना भइल आ जब विपक्षी सांसदन के निलंबित कर दिहल गइल त संसद से ई कानून पारित हो गइल । याचिका में माँग कइल गइल बा कि आपराधिक कानून के व्यावहारिकता के जाँच करे खातिर विशेषज्ञन के समिति बनावल जाव । याचिका में आरोप लगावल गइल बा कि नया आपराधिक कानून बहुते कड़ा बा आ एहसे देश में पुलिस शासन स्थापित हो जाई । इ कानून देश के जनता के मौलिक अधिकार के हनन करता। ई कानून अंगरेजी कानून से भी कड़ा बा। पुरनका कानून में कवनो आदमी के 15 दिन तक पुलिस हिरासत में राखे के प्रावधान बा, बाकी नयका कानून में इ सीमा बढ़ा के 90 दिन क दिहल गइल बा।

पिछला साल मंजूरी मिल गइल रहे

नया कानून में देशद्रोह कानून के नया अवतार ले आवल जा रहल बा आ ओकरा दोषियन के उमिर कैद तक के सजा के प्रावधान बा । 21 दिसंबर के तीन गो नया आपराधिक कानून – भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक रक्षा संहिता आ भारतीय साक्ष्य विधेयक – के लोकसभा में मंजूरी मिल गइल । ई कानून मौजूदा कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), सीआरपीसी आ भारतीय साक्ष्य अधिनियम के जगह ले ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 दिसंबर के एह कानून के मंजूरी देले रहले।

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