बुलडोजर एक्शन पऽ सुप्रीम कोर्ट के बड़ टिप्पणी
यूपी समेत तमाम राज्यन में बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई भइल। कोर्ट कहलस कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि बा आ सड़क, जल निकायन भा रेल पटरियन पs अतिक्रमण करे वाला कवनो धार्मिक ढांचा के हटावल जाए के चाहीं।
हमनीं के निर्देश सब केहू पऽ लागूः SC
कोर्ट इहो कहलस कि भारत एगो धर्मनिरपेक्ष देश हऽ आ बुलडोजर कार्रवाई अउरी अतिक्रमण विरोधी अभियान खातिर ओकर निर्देश सब नागरिकन खातिर होई, चाहे उनकर धर्म कुछवो होखे।
जस्टिस बीआर गवाई आ केवी विश्वनाथन के पीठ अपराध के आरोपी लोग के खिलाफ बुलडोजर से चलावे के कार्रवाई के चुनौती देवे वाला याचिका के सुनवाई करत रहले। कई राज्यन में प्रचलित एह रुझान के अक्सर ‘बुलडोजर न्याय’ कहल जाला। राज्य के अधिकारी पहिलहू कहले बाड़े कि अइसन मामला में खाली अवैध संरचना के गिरावल जाला।
जज आ सॉलिसिटर जनरल के सवाल जवाब
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तीनों राज्य उत्तर प्रदेश, गुजरात आ मध्य प्रदेश खाती पेश भइले। कोर्ट पूछलस कि का कवनो आपराधिक मामला में आरोप लगावल बुलडोजर कार्रवाई के सामना करे के आधार हो सकऽता। एकरा पs मेहता जवाब देले कि बिल्कुल ना, बलात्कार चाहे आतंकवाद जइसन घिनौना अपराध खातिर ना।
तुषार मेहता कहले कि जइसे न्यायाधीश कहले कि इहो नइखे हो सकऽता कि जारी कइल गइल नोटिस एक दिन पहलही अटकल रहे, इ पहिले से होखे के चाहीं। उऽ कहले कि अधिकांश नगरपालिका कानूनन में नोटिस जारी करने के प्रावधान बा।
एकरा प पीठ कहलस कि नगर निगम आ पंचायत खातिर अलग-अलग कानून बा। “ऑनलाइन पोर्टलो होखे के चाही ताकि लोग जागरूक होखे, एक बेर एकरा के डिजिटल कइला के बाद रिकॉर्ड हो जाई।”