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ई AI रोबोट किसान खातीर बहुत उपयोगी होई, ई सबसे कठिन काम करी, कीमत का होई, ई कहाँ उपलब्ध होई? सब जानी एह खबर में

12:45 PM Aug 06, 2024 IST | Khabar Editor
ई ai रोबोट किसान खातीर बहुत उपयोगी होई  ई सबसे कठिन काम करी  कीमत का होई  ई कहाँ उपलब्ध होई  सब जानी एह खबर में
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कृषि अनुसंधान प्रभाग के वैज्ञानिक डॉ. दिलीप कुमार कुशवाहा के कहनाम बा कि किसान के स्वास्थ्य के ध्यान में राखत एआई तकनीक के इस्तेमाल से पॉलीहाउस के भीतर चलेवाला रोबोट तैयार कइल गइल बा।

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पॉलीहाउस में फसल उगावे वाला किसानन खातिर ई बहुते उपयोगी खबर हो सकेला। फसल पS बाहर से कीटनाशक के छिड़काव कइल जा सकता। मतलब अब दवाई छिड़काव खातिर चारो ओर से बंद पोली हाउस में जाए के जरूरत ना पड़ी। किसान के स्वास्थ्य के ध्यान में राखत भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के कृषि अनुसंधान प्रभाग एआई तकनीक से पॉलीहाउस के भीतर चले वाला रोबोट बनवले बा।

कृषि अनुसंधान प्रभाग के वैज्ञानिक डॉ. दिलीप कुमार कुशवाहा के कहनाम बा कि खुला फसल में कीटनाशक के छिड़काव से किसान के स्वास्थ्य पS असर पड़े के संभावना बा, काहेंकी पॉलीहाउस बंद बा। एकरा में दवाई के छिड़काव के दौरान अउरी जादे खतरा के संभावना बा। एकरा के ध्यान में राखत डिवीजन के पीएचडी छात्र मुडे अर्जुन नाइक आ प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. आदर्श कुमार एगो एआई रोबोट बनवले बाड़े। एकर नाँव टेलीरोबोटिक टारगेट स्पेसिफिक सिलेक्टिव कीटनाशक एप्लीकेटर के रूप में दिहल गइल बा।

विशेषता के बारे में जान लीं

एकरा में कवनो तरह के ईंधन के इस्तेमाल ना होखेला। ई बैटरी से चलेला। स्वचालित मशीन के चलते किसान छिड़काव करत समय कीटनाशक के संपर्क में आवे से बाच जाई। बाकी पारंपरिक कीटनाशक छिड़काव के मुक़ाबले एकरा से लागत में 50 से 55 प्रतिशत के कमी आई।

अइसे काम होई

रोबोट के संगे रिमोट भी बा। किसान भा संचालक एकरा के दूर से संचालित कs के ग्रीनहाउस के भीतर भेज दिही। रिमोट में स्क्रीन अवरू रोबोट में कैमरा बा। एकरा से रउरा बाहर से निगरानी कर सकीलें। रोबोट में कीटनाशक भरल जाई। एकरा में बहुत सेंसर लगावल गइल बा, जवना के मदद से ई पहचान सकता कि आगे कवनो पेड़, पौधा चाहे बेल बा कि ना। तदनुसार छिड़काव करी। टमाटर, खीरा के संगे-संगे अउरी फसल में कीटनाशक के छिड़काव में ई उपयोगी साबित होई।

दाम कम हो जाई

वैज्ञानिक डॉ. दिलीप कुमार कुशवाहा बतवले कि एकरा के बनावे में करीब एक लाख रुपया खर्च भइल बा। बाकी एकरा के थोक में बनावे के लागत अउरी कम हो जाई। ताकि छोट से छोट किसान भी खरीदे में सक्षम होखे।

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