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आज तक कवनो छत एह मंदिर के सिर पs टिक ना पाइल, साँप के डेरा लागल रहेला

11:37 AM Jul 21, 2024 IST | Raj Nandani
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भौवपार गोरखपुर शहर से 19 किलोमीटर दूर बाबा मुंजेश्वर नाथ के शहर हs। मानल जाता कि बाबा मुंजेश्वरनाथ आज तक अपना ऊपर छत नईखन रखले। कुछ राजा लोग छत के रखे के कोशिश करत रहे, बाकी रात में ऊ अपने आप ढह जात रहे। एकरा बाद प्रयास बंद हो गइल। बाबा पीपल आ बनियान से मिल के एगो विशालकाय पेड़ के छाँव में बईठल बाड़े।

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सैकड़न साँप बाड़े

- पुजारी अखिलेश आ जनार्दन गिरी बतवले, सैकड़ों साँप इहाँ के पेड़ पs रहेले। श्रावण के महीना में भी अचानक गिर जाला या पेड़ से नीचे आ जाला। आज तक ऊ कबो कवनो भक्त के नुकसान ना पहुंचवले।

- जनार्दन गिरी बतवले, सत्यवादी राजा ,राजा मुंज सिंह समेत इलाका के अउरी बहुत लोग शिवलिंग पs मंदिर के रूप देवे के कोशिश कइले, बाकी बाबा के सिर पs कवनो छत खड़ा ना हो पावल। मंदिर के संरचना पूरा तरह से ढह जाला।

इहाँ हर सोमवार आ शनिचर के भक्तन के भीड़ लागेला बाकिर अधिकतर लोग श्रावण आ महाशिवरात्रि के महीना में एहिजा आवेला।

मुंजेश्वरनाथ के नाम एहसे रखल गइल काहे कि एकर स्थापना राजा मुंज कइले रहले।

- भौवापर में रहे वाला एगो युवा इतिहासकार डॉ. दानपाल सिंह बतवले कि कहानी इहे बा कि एक बेर मजदूर फावड़ा से अभयारण्य में मौजूद झाड़ी के हटावत रहले।

- एगो मजदूर के फावड़ा झाड़ी के जड़ के नीचे पड़ल पत्थर से टकरा गइल आ फावड़ा के झटका से पत्थर के ऊपरी हिस्सा टूट गइल।

- मजदूर उहाँ से एह शिवलिंग आकार के पत्थर के हटावे के कोशिश करत रहे, तब मजदूर के ओह पत्थर में भगवान शिव के आकृति देखाई देलख आ टूटल जगह से दूध के धारा बहे लागल।

ई नजारा देख के मजदूर डेरा गइल आ राजदरबार पहुंच गइल। ऊ पूरा कहानी राजा सतासी राजा मुंज सिंह के बतवले।

स्थानीय निवासी डॉ. रजनीश त्रिपाठी के मुताबिक राजा मुंज भी ओही रात भगवान भोले शंकर के सपना में देखले रहले। भगवान के अनुमति से राजा मुंज संस्कार के अनुसार ओही जगह शिवलिंग के स्थापना कइले।

बाबा के नाम मुंजेश्वरनाथ धाम एहसे राखल गइल बा काहे कि ऊ झाड़ियन से स्वनिहित रूप में निकलल रहले भा राजा मुंज के स्थापना कइले रहले। शिवलिंग के गहराई के बारे में आज तक पता नइखे चलल।

- राजन राम त्रिपाठी बतवले, 1972 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एरिक स्ट्रैक गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बाल कृष्ण राव के संगे इहाँ आइल रहले। ऊ शिवलिंग के अलौकिक बतवले रहले, जहां नंदी आ गणेश एक संगे मौजूद बाड़े।

राजा होरिल सिंह भी अभयारण्य के मंदिर के रूप देवे के कोशिश कइले रहले।

- इहाँ देवी पार्वती के मंदिर आ अउरी देवी-देवता के स्थापना भइल बा। ओह सब मंदिरन के छत बा बाकिर एह शिवलिंग के आज ले छत नइखे बनल।

बतावल जाता कि सतासी राजवंश के राजा ,राजा होरिल सिंह समेत बाकी राजा लोग भी मंदिर के आकार देवे के कोशिश कइले बाकी संरचना गिर गइल। बाद में राजा होरिल सिंह के परिवार में कुछ अशुभ होखे लागल।

- एह घटना के बाद ब्राह्मण लोग राजा होरिल सिंह से इहां रुद्राभिषेक करावा देले, तबे उनका परिवार में शांति स्थापित हो सकत रहे।

स्थानीय निवासी आ पुजारी लोग का कहत बा

- स्थानीय निवासी राजन राम त्रिपाठी आ पुजारी काशी गिरी बतवले कि इतिहासकार डॉ. दानपाल सिंह के अनुसार सत्तासी राजा राजा होरिल सिंह के शासन काल 1296 से 1346 ई. के बीच रहे। ओह घरी सतासी वंश के भौवपार छावनी रहे।

एकरा अलावे 1990-91 में मध्य प्रदेश में अपना परिवार के संगे रहेवाला स्थानीय निवासी आ पीसीएस अधिकारी सेवानिवृत्त एडीएम योगेंद्र राम त्रिपाठी इहाँ मंदिर के जीर्णोद्धार करावा देले रहले।

- मंदिर के बाहर गर्भगृह के बाहरी भाग में भी खाली फाटक आदि बनवले रहले। लोग अब दुर्भाग्य के डर से मंदिर पs छत लगावे के कोशिश ना करेले।

वैज्ञानिक विश्लेषण से परे दिव्य शक्ति आ धार्मिक आस्था : प्रो.(डॉ.) गोविंद पांडेय

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर आ पर्यावरणविद डॉ. गोविंद पांडेय कहले कि, ईश्वरीय शक्ति अवुरी धार्मिक आस्था वैज्ञानिक विश्लेषण से परे बा। हमनी के अइसन जगहन पर कवनो काम सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत तथ्य के ध्यान में राखत करे के चाहीं। ज्वाला देवी में गड्ढा के पानी उबलत लउकेला बाकी जब हाथ डाल देनी तs हाथ ना जरेला, ठंडा लागेला।

- डॉ. पाण्डेय कहले, अब जदी केहू के ओहिजा छत लगवावल जाव तs ओकरा के इंस्ट्रूमेंट के मदद से निगरानी कs के पता लगावे के कोशिश कइल जा सकता कि उहाँ छत काहें नइखे लगावल जात।

छत लगावल जा सकेला - हम किंवदंती में विश्वास ना करेनी:  सांसद कंडोई

- गोरखपुर चैप्टर आ मैकेनिकल इंजीनियर इंजीनियर सांसद कांदोई कहले, ऊ किंवदंती में विश्वास ना करेले। बस जनता में उलझन बा आ लोग बस डेरा गइल बा।

- आज हमनी के चंद्रमा-सूरज तक पहुंच गइल बानी सs, अइसन स्थिति में ई सब बात सिर्फ अंधविश्वास के हो सकता।

- उहाँ छत लगावल जा सकेला। जदी लोग डेरात बा तs पहिला पांच-छह महीना तक टीन के छत लगा लीं।

-आरसीसी कास्ट से एकर खंभा खड़ा करीं आ टीन के छत के मजबूती से बान्ह लीं। जदी पांच-छह महीना के भीतर ऊ छत ना गिरल तs ओकरा जगह आरसीसी कच्चा लोहा से छत बनावल जा सकता। ई काम कवनो कुशल इंजीनियर के देखरेख में होखे के चाहीं।

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