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शिक्षा मंत्रालय के बड़ फैसला: UGC-NET परीक्षा रद्द करे के एलान, CBI जांच करावे के घोषणा

09:09 AM Jun 20, 2024 IST | khabar Bhojpuri Desk
शिक्षा मंत्रालय के बड़ फैसला  ugc net परीक्षा रद्द करे के एलान  cbi जांच करावे के घोषणा
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शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के तहत काम करे वाली स्वायत्त एजेंसी एनटीए मंगर के भइल यूजीसी-नेट परीक्षा के रद्द करे के फैसला कइले बा। गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से गड़बड़ी के संकेत मिलला के बाद परीक्षा के रद्द करे के फैसला लिहल गइल।

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मेडिकल इंट्रेंस परीक्षा (NEET) रिजल्ट के विवाद अभी ठंडो नइखे भइल कि शिक्षा मंत्रालय यूजीसी-नेट परीक्षा के रद्द करे के एलान कs देलस। शिक्षा मंत्रालय कहलस कि यूजीसी-नेट परीक्षा नया सिरा से आयोजित कइल जाई।सरकार के मोताबिक परीक्षा में गड़बड़ी के ममिला के जांच सीबीआई के सउपल जा रहल बा।

शिक्षा मंत्रालय के ओर से जारी बयान के मोताबिक, एनटीए यूजीसी-नेट परीक्षा 18 जून, 2024 के देस के अलग-अलग शहरन में दु चरणन में ओएमआर (पेन आ पेपर) मोड में आयोजित कइले रहे। 19 जून माने बुध के यूजीसी के परीक्षा खातिर गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) के राष्ट्रीय साइबर अपराध खतरा विश्लेषण इकाई से कुछ इनपुट मिलल। एह जानकारियन से पहिला नजर में संकेत मिलल कि परीक्षा के सत्यनिष्ठा से समझौता कइल गइल होई।

बयान में कहल गइल कि परीक्षा प्रक्रिया के उच्चतम स्तर के पारदर्शिता आ पवित्रता सुनिश्चित करे खातिर शिक्षा मंत्रालय फैसला लेले बा कि कि यूजीसी-नेट जून 2024 परीक्षा रद्द कइल जाई। एगो नया सिरा से परीक्षा आयोजित कइल जाई। जवना के जानकारी अलग से साझा कइल जाई। एकरा संगही ममिला के गहन जांच खातिर ममिला के केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के सउपल जा रहल बा।

नीट परीक्षा में कथित गड़बड़ियन पs सुप्रीम कोर्ट से एनटीए के नोटिस

सुप्रीम कोर्ट मंगर के नीट परीक्षा में कथित गड़बड़ियन के लेके दायर याचिका पs सुनवाई कइलस। एह दौरान कोर्ट नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से कइयन गो तीख सवाल कइलस। अदालत कहलस कि जदि नीट परीक्षा में 0.001 फीसदी लापरवाही भइल बा तs ओकरा से निपटल जाये के चाही।

एही के संगे सुप्रीम कोर्ट एनटीए आ केंद्र सरकार के नोटिस जारी कइलस आ एह ममिला में जवाब दाखिल करे के कहलस। मेडिकल के एह परीक्षा खातिर विद्यार्थियन के मेहनत पs बात करत सर्वोच्च न्यायालय कहलस कि एह याचिका के विरोधात्मक भाव से ना देखल जाये के चाहीं।

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