पति के लमहर आयु खातिर वट सावित्री के पूजा : महिला लोग वट वृक्ष में धागा लपेट के परिक्रमा कइल
गोपालगंज। जिला के अलग-अलग प्रखंडन में शहर से लेके ग्रामीण इलाकन तक सुहागिन महिला लोग वट सावित्री के पूजा अर्चना कs के अपना पति के लमहर लंबी उमिर के कामना कइलें। एह दौरान महिला लोग पति के अखंड सौभाग्य आ दीर्घायु के कामना के संगे वट सावित्री पूजा धूमधाम से मनावल।
परब के लेके महिला लोग भिनसहरे से वट वृक्ष के लगे पहुंचल आ पूजा अर्चना कइल लो। महिला लोग नया वस्त्र के संगे संपूर्ण श्रृंगार कs के वट वृक्षन के धागा से लपेटत देखल गइल। कइयन स्थानन पs वट सावित्री के पूजा के बाद महिला लोग हाथ से उपयोग में लिहल जाये वाला नया पंखा के उपयोग करत बा लो। अइसन मान्यता बा कि एह व्रत के धारण करे से महिलाए लोग आजीवन सुहागन रहेला।
पति के लमहर उमिर के कामना
बियफे के भिनसहारे महिला लोग नया कपड़ा पहिन के वट वृक्ष के साफ-सफाई कs के ओकर पूजा कइल लो। वृक्ष के धागा से बान्ह के, ओह पs फल, फूल, मिठाई आदि अर्पित कइल लो। कुछ महिला लोग व्रत रखले रहे। पूजा के दौरान महिला लोग सावित्री आ सत्यवान के कथा सुनल।
मान्यता बा कि वट सावित्री व्रत करे से पति के आयु बढ़ेला आ सुहाग अखंड रहत बा। ई परब पति-पत्नी के बीच प्रेम आ स्नेह के प्रतीक मानल जाला। वट सावित्री पूजा खाली धार्मिक अनुष्ठाने ना बलुक महिला लोगन के एक-दूसरा से जोड़े के माध्यमो हs।
वट सावित्री के सुनल लो कथा
एह अवसर पs महिला लोग एक संगे समय बितावेला आ अपना संस्कृति आउर परंपरा के जिया के रखेला लो। सावित्री परब ना खाली महिला लोगन के धार्मिक विश्वास के दर्शावत बा, बलुक उनका पारिवारिक जिनगी में खुसहाली ले आवे के प्रतीक बा।
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म के एगो महत्वपूर्ण बरत हs। एह बरत के सुहागन स्त्री अपना पति के दीर्घायु खातिर करेला ली। वट सावित्री के कथा महाभारत में वर्णित बा। एह कथा के अनुसार, सावित्री अपना पति सत्यवान के मत्यु के बाद यमराज से उनकर जिनगी वापस मांग लेले रहली।
साभार : दैनिक भास्कर