बिहार के अंखफोडवा के का घटना रहे? जवना के चलते पूरा देश हिल गइल, सुप्रीम कोर्ट आग बबूला हो गइल रहे
ऑपरेशन गंगाजल : अखफोडवा घटना के तस्वीर जब पहिला बेर अखबार में छपल तs लोग के रूह काँप गइल। सुप्रीम कोर्ट एह बात से भड़क गइल ...
साल 2003 में रिलीज भइल फिल्म ‘गंगाजल’ लोग के बहुते नीक लागल। फिल्म में मुख्य भूमिका निभावे वाला अजय देवगन के अभिनय खातिर बहुते तारीफ मिलल। बहुत कम लोग के मालूम बा कि ई फिल्म बिहार के मशहूर 'अंखफोडवा घटना' पs आधारित रहे। एगो अइसन घटना जवना के बारे में सुन के ही सिहर जाएम। 44 साल पहिले जब अखबार में अंखफोडवा घटना के पीड़ित लोग के फोटो छपल रहे तs सुप्रीम कोर्ट के जज लोग के आंख में लोर निकलल रहे।
अंखफोडवा के घटना का रहे?
अंखफोडवा घटना या भागलपुर अंखफोडवा घटना साल 1979-80 के हs। कई गो मुकदमा चलत कैदी के बिहार के भागलपुर के जेल में बंद कर दिहल गइल। पुलिस के एगो तबका कैदियन के जल्दी से सजा देबे आ तुरते न्याय खातिर एगो क्रूर तरीका गढ़लस। ऊ रहे कि कैदियन के आँख गोद के तेजाब डालल जाव। भागलपुर के अलग-अलग जेल में बंद कैदियन के आंख गड़गड़ावे लागल। पहिला बेर अंखफोडवा घटना के पर्दाफाश करे वालन में शामिल वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी अपना किताब ‘द कमिश्नर फॉर लोस्ट काज्स’ में एह घटना के क्रमिक तरीका से दर्ज कइले बाड़न।
कैदियन के आँख कइसे गड़बड़ा गइल?
अरुण शौरी अपना किताब में लिखले बाड़न कि मुकदमा के तहत कैदियन के पहिले थाना ले जाइल जात रहे। ओहिजा पुलिस वाला कैदियन के पकड़ के जमीन पर फेंक के ओह लोग के ऊपर बइठ जास। कुछ पुलिस वाला कैदी के हाथ-गोड़ पकड़ लेत रहले। फेर बोरा सिलाई करे वाला सुआ भा टकवा ओकरा आँख में छुरा मारल जात रहे। एकरा बाद एगो तथाकथित डाक्टर आके कैदी के आंख में तेजाब डाल जात रहे। ताकि ऊ जिनिगी भर आन्हर हो जाव।
एसिड के नाम गंगाजल रखल गइल
अपना किताब में एह घटना के जिक्र करत शौरी लिखले बाड़न कि 1980 के दशक में एगो जेल में सात गो कैदी के आँख में लाठी डाल के आन्हर कर दिहल गइल रहे। सब कैदी के एक कमरा में लेटवा दिहल गइल। एह दौरान एगो डाक्टर आके पूछले कि का रउरा लोग के कुछ लउकत बा? कैदियन के लागल कि शायद डाक्टर साहेब ओह लोग के इलाज करे आइल बा। 2 कैदी कहलन- हँ तनी लउकत बा। एकरा बाद डाक्टर साहेब बाहर निकल गइले। कुछ समय बाद ओह कैदियन के एक-एक कs के निकाल के फेर से ओह लोग के आँख में तेजाब डाल दिहल गइल। शौरी लिखले बाड़न कि पुलिसकर्मी एसिड के नाम ‘गंगाजल’ रखले रहले।
33 कैदियन के आँख गड़बड़ा के निकाल दिहल गइल
बीबीसी के एगो रिपोर्ट के मुताबिक अंखफोडवा घटना में कुल 33 लोग के आंख निकाल के तेजाब डाल के आन्हर कs दिहल गइल। 22 नवम्बर 1980 के जब इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार अरुण सिन्हा ’पंक्चर्ड ट्वाइस टु इनश्योर ब्लाइंडनेस’ नाम से एगो खबर लिखले तs हंगामा मच गइल। पीड़ित लोग के आंख पs बान्हल सूती पट्टी देख के लोग के दिल सिहर गइल। आँख नम हो गइल रहे। मीडिया में रिपोर्ट छपला के बाद लोग ना सिर्फ पुलिसकर्मी के खिलाफ नाराज हो गइले, बलुक ए लोग के समर्थन में एगो तबका भी सामने आइल। ‘पुलिस जनता भाई-भाई’ के नारा लागे लागल।
बिहार सरकार का कइलस?
जब मामला बढ़ल तs बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा एकर पूरा दोष जनता पs डाल देले। एक दू गो जेल अधीक्षक के निलंबित कs के मामला के चुप करावे के कोशिश कइल गइल, बाकी तब तक ई खबर विदेशी मीडिया में आवे लागल। मामला केंद्र सरकार तक पहुंचल आ केंद्रीय मंत्री वसंत साठे उनका पs पुलिस के मनोबल गिरावे के आरोप लगवले। बाकी आचार्य कृपालानी जइसन कुछ नेता मोर्चा खोलले आ एकरा बाद संसद में हंगामा शुरू हो गइल।
केंद्र सरकार कहलस कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार के दायरा में बा, एहसे केंद्र बहुत कुछ नइखे कs सकत। जदी मामिला ना रुकल तs इंदिरा गांधी के सार्वजनिक बयान देवे के पड़ी। तत्कालीन गृहमंत्री जियानी जैल सिंह पीड़ित परिवार से अपील कइले कि ऊ लोग ए मामिला के महत्व मत देवे, काहेंकी एकरा से मानहानि के बात होखता।
सुप्रीम कोर्ट के नाराजगी पर कार्रवाई
एह घरी सुप्रीम कोर्ट एह मामिला के सुओ मोटू संज्ञान ले लिहलस। अंखफोडवा घटना के पीड़ित लोग के फोटो देख के सुप्रीम कोर्ट के जज स्तब्ध रह गइले। ऊ सब पीड़ित के दिल्ली के एम्स में जांच करावे के आदेश देले आ राज्य सरकार से कहले कि आरोपी के खिलाफ अइसन कार्रवाई होखे के चाही, ताकि भविष्य में अइसन सोचे के हिम्मत तक ना होखे। सुप्रीम कोर्ट के नाराजगी के बाद बिहार सरकार 15 पुलिसकर्मी के निलंबित कs देलस। हालांकि 3 महीना के भीतर उनकर निलंबन उल्टा हो गइल। पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारी के तबादला भी हो गइल। पूरा मामला में स्कैनर के नीचे रहल भागलपुर के एसपी के बस रांची में तबादला क दिहल गइल, बाकी अंखफोडवा के घटना सुन के आज भी आत्मा के नीचे सिहरन भेजता।