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vishwa hindi diwas: जानीं संस्कृत से कइसे निकलल हिंदी भाषा, के लिखल पहिला साहित्य....

09:16 AM Jan 10, 2025 IST | Minee Upadhyay
vishwa hindi diwas
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अंतर्राष्ट्रीय स्तर पs हिंदी भाषा के उपयोग के बढ़ावा देवे खातीर 10 जनवरी के विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनावल जाला। एकर शुरुआत मनमोहन सिंह साल 2006 में कइले रहले. तब से हर साल विश्व हिन्दी दिवस मनावल जा रहल बा। अबकी बेर एह खास दिन के विषय ‘एकता आ सांस्कृतिक गौरव के वैश्विक आवाज' के रूप में राखल गइल बा. वर्तमान में हिंदी दुनिया के तीसरा सबसे बोलल जाए वाला भाषा बा। हिंदी के उत्पत्ति मूल रूप से संस्कृत भाषा से भइल रहे। इहाँ हमनी के बतावत बानी जा कि कइसे हिन्दी के उत्पत्ति संस्कृत से भइल आ ई संस्कृत के छोड़ के करोड़न लोग के भाषा बन गइल।
संस्कृत के उत्पत्ति भारत के उत्तरी भाग में भइल। ई बहुत प्राचीन भाषा हs। एकरा के भारतीय उपमहादीप के मूल भाषा मानल जाला। संस्कृत के भगवान के भाषा भी कहल जाला। अन्य भारतीय भाषा जइसे कि हिंदी, उर्दू, बंगाली, तेलुगु, मलयालम आ कन्नड़ के उत्पत्ती संस्कृत से मानल जाला।

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हिन्दी के उदय कईसे भईल?

भारत में वैदिक संस्कृत के प्रयोग 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व के बीच भइल। चारो वेद आ उपनिषद एही भाषा में लिखल गइल बा। एकरा बाद लौकिक संस्कृत के उदय भइल। पाली भाषा लौकिक संस्कृत से निकलल। गौतम बुद्ध के संदेश खाली पाली भाषा में मिलेला। पालि से प्राकृत भाषा निकलल। हिंदी के निर्माण पाली के अपभ्रंश (भाषा के बिगड़ल रूप) अवहट्ठ से भइल। हिंदी के इतिहास लगभग हजार साल पुरान मानल जाला। अपभ्रंश भाषा के प्रयोग साहित्य में 1000 ई. के आसपास शुरू भइल। 

तीन अपभ्रंश से भइल हिंदी के विकास
भाषा वैज्ञानिक भोलेनाथ तिवारी क्षेत्रीय आधार पs पांच तरह के अपभ्रंश के जिक्र कइले बाड़े. शौरसेनी (मध्यवर्ती), मागधी (पूर्वीय), अर्धमागधी (मध्यपूर्वीय), महाराष्ट्री (दक्षिणी), व्राचड-पैशाची (पश्चिमोत्तरी)। भोलानाथ तिवारी के अनुसार अपभ्रंश के तीन रूप शौरसेनी, मागधी आ अर्धमागधी से हिंदी के विकास भइल.

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हिंदी इतिहास के तीन काल

हिंदी भाषा के विकास के तीन काल में बाँटल गइल बा। प्राचीन काल, मध्यकालीन काल, आ आधुनिक काल। प्राचीन काल के 1000 ई. से 1500 ई. ले मानल जाला। एही काल में कविता के रचना भइल आ रासो ग्रंथ के रचना भइल। एकरा बाद 1500 ई. से 1900 ई. के बीच के समय के मध्यकालीन काल मानल जाला। एकरा के भक्ति समय भी कहल जाला। एह दौरान क्षेत्रीय बोली में भगवान के भक्ति के संबंध में बहुत कुछ लिखल गईल। आधुनिक काल के सुरुआत 19वीं सदी में भइल जेह में गद्य के भरमार लिखल गइल। अंग्रेज शासन के दौरान देश के जनता के एकजुट करे में हिंदी के अहम योगदान रहल आ संविधान सभा 14 सितंबर 1949 के हिंदी के भारत के राजभाषा घोषित कs दिहलस। एही कारण से 14 सितंबर के राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनावल जाला। साथ ही 10 जनवरी के विश्व हिन्दी दिवस मनावल जाला।

भारतेंदु हरिशचंद्र के योगदान

भारतीय साहित्य पहिले खाली संस्कृत में लिखल जात रहे। हालांकि आम जनता के बीच हिन्दी के लोकप्रियता जारी रहे। हिन्दी में साहित्य के लेखन 1200 ई. के बाद शुरू भइल। हालांकि एs समय ले खाली कविता लिखल जात रहे। अमीर खुसरो हिंदी में पहिला कविता लिखले रहनी। भारतेंदु हरिशचंद्र के हिंदी गद्य के जनक मानल जाला। ऊ 1850 से गद्य लिखे लगलें आ अउरी लेखक लोग के भी गद्य लिखे के प्रेरणा दिहलें। कुछ विद्वान लोग के मानल ​​बा कि हिन्दी साहित्य के पहिला प्रामाणिक गद्य रचना लाला श्रीनिवासदास के लिखल उपन्यास ‘परीक्षा गुरु’ हs।

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