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भोजपुरी के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक उपन्यास हs 'भँवरा': प्रो. आरडी राय

07:00 AM Dec 09, 2024 IST | Anurag Ranjan
भोजपुरी के सामाजिक मनोवैज्ञानिक उपन्यास हs  भँवरा   प्रो  आरडी राय
भोजपुरी उपन्यास भँवरा के लोकार्पण करत गणमान्य साहित्यकार। फोटो साभार: आयोजक
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गोरखपुर: नर्वदेश्वर सिंह 'मास्टर साहब' के लिखल 'भँवरा' भोजपुरी के 'सामाजिक मनोविज्ञान के उपन्यास' हs। एमे देसज आ आंचलिक शब्दन के बहुतायत बा, एकरा बादो एकर लेखक अद्भुत ढंग से भँवरा के चरित्र के रचले बाड़ें। जदि एह कृति के हिंदी सहित अउरियो भाषा में अनुवाद करवा लिहल जात बा तs ई आउर बेहतर रही।

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एह चैनल के एक बेर जरूर विजिट करीं: खबर भोजपुरी ऑफिशियल

ई विचार गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व विभाध्यक्ष प्रो. आरडी राय के हs। ऊ अतवार के गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब सभागार में साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था भोजपुरी संगम के तत्वावधान में आयोजित एह कृति के लोकार्पण समारोह में उपस्थित साहित्यकारन के संबोधित करत रहस। कार्यक्रम के अध्यक्षता विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बनारसी त्रिपाठी कइलें। संचालन के दायित्व भोजपुरी के वरिष्ठ कवि चंदेश्वर परवाना निभवलें।

अथितियन के अंगवस्त्र से भइल सम्मान

कार्यक्रम के सुरुआत चंदेश्वर परवाना के सरस्वती वंदना से भइल। एकरा बाद आइल अतिथि लोगन के अंगवस्त्र देके सम्मानित कइल गइल। एह कृति के लोकार्पित होखला के बाद फाजिलनगर, कुशीनगर से आइल वरिष्ठ कहानीकार सत्य प्रकाश शुक्ल आपन समीक्षा रपट पेश करत कहलें कि लेखक विवाहविच्छेद से उपजे वाला आज के सबसे ज्वलंत समस्या पs आपन कलम चलवले बाड़ें, जवना के स्वागत कइल जाये के चाहीं। ऊ कहलें कि एह कृति में आइल संवादन के आउर जादे भावप्रवण बनावे के जरूरत बा।

नारी संघर्ष आधारित भोजपुरी उपन्यासन के कडी में सामिल बा ‘भँवरा’

अपना संबोधन में प्रो. राजेश मल्ल लेखक के बधाई देत कहलें कि एमे भोजपुरी के दुर्लभ मुहावरन के बहुते सटीक ढंग से प्रयोग भइल बा। प्रो. मल्ल एह कृति में जगह-जगह आइल आकस्मिक घटनन से लेखक के सचेत रहे के सलाह देलें। कुशीनगर से पधारल कवि बृजेश कुमार त्रिपाठी अपना संबोधन में लेखक के भोजपुरी गद्य के विकास यात्रा में दमदार उपस्थिति दर्ज करवावे खातिर बधाई देलें।

प्रो. आद्या प्रसाद द्विवेदी एह कृति के भूरि-भूरि प्रशंसा करत कहलें के ई नारी संघर्ष आधारित भोजपुरी उपन्यासन के कडी में सामिल ग्रंथ बा। एमे भरपूर कथारस बा। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. बनारसी त्रिपाठी कहलें कि एह कृति में हमनी के अगरी-कगरी के कहानी बा, जवना के अद्भुत ढंग से लेखक पेश कइलें बाड़ें। कार्यक्रम के आखिर में भोजपुरी संगम के संरक्षक इं. राजेश्वर सिंह सबका प्रति आभार व्यक्त कइलें।

लोकार्पण के दौरान मौजूद साहित्य प्रेमी
लोकार्पण के दौरान मौजूद साहित्य प्रेमी

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से साहित्यकारन में डॉ. जेपी नायक, वीरेंद्र मिश्र दीपक, धर्मेंद्र त्रिपाठी, सृजन गोरखपुरी, चंद्रगुप्त शर्मा अकिंचन, अरविंद अकेला, अवधेश नंद, भीम प्रसाद प्रजापति, गोरखपुर प्रलेस के महासचिव भरत शर्मा, रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, शशिविंदु नारायण मिश्र, अभिमन्यु पांडेय, वागेश्वरी मिश्र वागीश, भोजपुरी संगम के संयोजक कुमार अभिनीत, अरुण ब्रह्मचारी, दिनेश गोरखपुरी, राम सुधार सिंह सैंथवार, राम समुझ सांवरा, सत्यनारायण पथिक सहित आउर लोग मवजूद रहे।

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