Gorakhpur: डीडीयू के मिलल भोजपुरी अध्ययन केंद्र, यायावरी वाया भोजपुरी द्वारा कुलपति के भइल सम्मान
भोजपुरी भाषा के संरक्षण आ विकास खातिर समर्पित संस्था यायावरी वाया भोजपुरी के कार्यक्रम अधिकारी गौरव मणि त्रिपाठी के द्वारा कुलपति महोदया के एह विशेष प्रयास खातिर धन्यवाद ज्ञापित कईल गईल आ उनके अंगवस्त्र आ प्रतीक चिन्ह भेंट कs के सम्मानित कईल गईल. एह विशेष सम्मान में गौरव मणि त्रिपाठी के साथे सुधीर मिश्रा आ सोनू किशोर भी मौजूद रहले.
बता दी कि यायवारी वाया भोजपुरी, एह भाषा के पहिलका स्टोरी टेलिंग ऐप हs जवन देश-विदेश के बेहतरीन कहानियन के भोजपुरी मे अनुवाद कs के लोग के सुने खातिर उपलब्ध करवेला । एह संस्था द्वारा भोजपुरी भाषा के कौशल विकास से जोड़े खातिर यायावरी क्लबो के गठन कईल गईल बा जवन पूर्वांचल के अलगा-अलगा कालेजन मे नवहा छात्रन के भोजपुरी के विशाल संस्कृति से परिचय करावत एह भाषा में ओह लोगन निपुन बानावे के कोसिस मे लागल बिया जवना से भाषा के खाली घर के चउखटे ले सिमित ना रहो बलुक ई बिजनेस के भी भाषा बनो। एह क्लब के माध्यम से कैथी लिपि , भोजपुरी चित्रकारी,कहानी-कविता लेखन, नाटक आदि के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कईल जाला।
खबर भोजपुरी से कईल वादा निभवली कुलपति
जनवरी 2024 में खबर भोजपुरी से विशेष बातचीत करत कुलपति महोदया कहलें रहीं कि उनके भोजपुरी भाषा के लेके बहुत कुछ दिमाग में चल रहल बा आ आवे वाला समय में जल्दिए रउरा सभे के एगो खुशखबरी मिली।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में भोजपुरी
डीडीयू के अंग्रेजी विभाग के शोधकर्ता एनईपी के अंतःविषय आ समग्र शिक्षा के सिद्धांत के अनुरूप शोध कार्य चुनले बा। एकरा तहत रामचरितमानस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), भोजपुरी लोककथा आ जलवायु परिवर्तन जइसन विषय के चयन कइल गइल बा। विभागीय शोध समिति एह प्रस्तावन के मंजूरी दे दिहले बा.
भोजपुरी लोकगीत के महत्व पs शोध
धार्मिक गीत (जइसे कि छठ गीत, माता के गीत, शिव गीत आदि), बियाह के विभिन्न अवसरन खातिर गीत (सगुन, सिंदूरदान, विदाई आदि), भारतीय संस्कार खातिर गीत (सोहर, नामकरण, जनेऊ आदि), त्योहार गीत (होली, नागपंचमी आदि), नारीवाद आ प्रकृति पs शोध खातीर चुनल गइल बा
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में ई दूसरका भोजपुरी अध्ययन केंद्र हs जहां भोजपुरी भाषा पs शोध आ पढ़ाई एगो स्वतंत्र विषय के रूप में होई एकरा से पहिले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भोजपुरी अध्ययन केंद्र के स्थापना कईल जा चुकल बा।