gorakhpur news: भोजपुरी खाली भाषा नाहीं, हमनी के संस्कृति आ अस्मिता के प्रतीक हs 'कुलपति प्रो. पूनम टंडन'
भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के ओर से अतवार के गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी में भोजपुरी भाषा, साहित्य अवुरी संस्कृति के अलग-अलग पहलू पs गहराई से चर्चा भईल। उद्घाटन कुलपति प्रो. पूनम टंडन कइली. कहली कि भोजपुरी खाली भाषा ना हs, ई हमनी के संस्कृति, परम्परा आ पहचान के प्रतीक हs.
भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन मॉरीशस के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुधु भोजपुरी भाषा के गायन के भाषा बतवली आ ओकरा के भाव के रूप में परिभाषित कइली. कहली कि भोजपुरी गीतन में ऊ ताकत होला जवन लोग के दिल जोड़ सकेला. उs भोजपुरी के मान्यता प्राप्त भाषा के दर्जा देवे के जरुरत पs जोर देली। मारीशस में भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार के आपन अनुभव बतवली.
उs कुलपति से विश्वविद्यालय में डायस्पोरा सेंटर खोले के निहोरा भी कईली। विशेष अतिथि भाषा आयोग नेपाल के अध्यक्ष डा. गोपाल ठाकुर भोजपुरी के साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक बनावे खातिर सामूहिक प्रयास के अपील कइलन. एह दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन भी भइल।
कार्यक्रम संयोजक डॉ. राकेश कुमार श्रीवास्तव भोजपुरी भाषा आ संस्कृति के प्रति आपन प्रतिबद्धता जतवले। कहलन कि भोजपुरी के ना खाली संरक्षण के जरुरत बा, बलुक एकरा के वैश्विक मान्यता देबे खातिर प्रयासो जरूरी बा. कार्यक्रम में आदित्य कुमार बांसुल के किताब विमोचन भइल. माटी के लाल के अभिनंदन समारोह भी सम्पन्न भइल। प्रख्यात नाट्य निर्देशक मनवेंद्र त्रिपाठी के निर्देशन में भोजपुरी के शेक्सपियर के नाम से जानल जाए वाली भिखारी ठाकुर के अमर कृति ''विदेसिया'' के मंचन भइल।
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