Special story : ईंहों के जानी , ईंहों के पहचानी:लोक गीत सी लड़की किताब के लेखिका "आकृति विज्ञ 'अर्पण'
आकृति विज्ञा 'अर्पण के जनम गाँव रायगंज बाजार खोराबार गोरखपुर में भइल। इनकरी बाबूजी के नाव बशिष्ठ मुनि दूबे आ माई के नाव अंजलि प्रभा हs। इनकरी माई- बाबूजी के सपोर्ट हमेसा से रहल बा आ सब काम आकृति के धीरे धीरे होत गईल। स्कूल में काफी लोग के पसंद आवे इनकर लिखल आ पढ़ल। गाँव , समाज के स्थिति देखके कविता पनपे लागल आ कुछ परंपरा से भी मिलल। इनकर नाना बहुत सपोर्ट करत रहलें। दादा जी के साथ गाँव घूमत भी बहुत कुछ सीखे- समझे के मिलल। अउर एहि रुचि के साथे आगे कदम बढ़वली। एs समय इs बनारस में रहेली आ बाटनी में पीएचडी करत बाड़ी।
लेखन विधा में इs गीत,कविता ,ग़ज़ल , रिपोर्ताज, संस्मरण आदि लिखेली आ हिंदी, भोजपुरी आ अंग्रेजी में पकड़ बहुत बड़िया हs। इनकर एगो पुस्तक 'लोकगीत सी लड़की ' प्रकाशित भइल हs। जेके लोग बहुत पसन्द करत बा। एकरा साथे 1500 से अधिका कार्यक्रमन में प्रस्तुति देले बाड़ी आ संचालनो कइले बाड़ी।
आकृति विज्ञा 'अर्पण के लिखल एगो भोजपुरी कविता-
माथ लगा के चन्नन जइसे,
ए बबुआ ई सोना माटी
बीज लक्ष्य के जम के साध s
दुनिया देखी हिम्मत खांटी ।
कदम बढ़ाव धीर धरs तू
धीरे धीरे सब हो जाई ।
तोहरे साथे बरम बाबा
तोहरे साथे काली माई।।
खटिया जस जो होई दुनिया,
याद रखs कि तूंही पाटी।
दुनिया देखी हिम्मत खांटी.......
मेहनत रथवा कबो न रोकिहs
इनके उनके जिन तू तकिहs ।
साध साध के शब्द खरचीहs
आला बाला मत तू बकिहs ।।
याद रखs कि करम के खेती
जे जो बोई ऊहे काटी ।
दुनिया देखी हिम्मत खांटी....
तू ओह धरती से बाड़s कि
जेह पर गोरख गाथा गइलें
वीर कुंवर के चौड़ा सीना
जियक् कबीरा अलख जगइलें
जेकरे टिकुली में हो लासा
ऊहे त माथे पर साटी ।
दुनिया देखी हिम्मत खांटी......
अबले जवन सफलता मिलल बा, ओकर पूरा श्रेय आपन बाबूजी बशिष्ठ मुनि दूबे आ माई अंजलि प्रभा के देली आ हमेसा अपने लेखनी के प्रति अग्रसर रहेली।