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बिहार-झारखंड आ देस-दुनिया के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक आर्थिक परिदृश्य पs आधारित हरिवंश के दस पुस्तकन के लोकार्पण काल्ह

11:38 PM Dec 12, 2024 IST | Anurag Ranjan
बिहार झारखंड आ देस दुनिया के सामाजिक  सांस्कृतिक  राजनीतिक आर्थिक परिदृश्य पs आधारित हरिवंश के दस पुस्तकन के लोकार्पण काल्ह
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पत्रकारिता, लेखन आ संपादन से लगभग चार दशकन तक जुड़ल रहल हरिवंश के दस किताबन के लोकार्पण राष्ट्रीय पुस्तक मेला (गांधी मैदान, पटना) में 14 दिसंबर के सांझ (06:30 बजे) होई। लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य सचिव वीएस दुबे आ विशिष्ट अतिथि, पूर्व पुलिस महानिदेशक डीएन गौतम होइहें। विशिष्ट वक्ता के रूप में खुदाबख्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक आ इतिहासकार प्रो. इम्तियाज अहमद के गरिमामय उपस्थिति रही।

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एह अवसर पर बिहार म्यूजियम के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा आ चंपारण के रहे वाला संस्कृतिकर्मी आ लेखक विनय कुमार के विशिष्ट उपस्थिति रही। वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, स्तंभकार अनंत विजय बीज वक्तव्य दिहें। लोकार्पण समारोह के अवसर पs संगीत नाटक अकादमी आ बिहार कला सम्मान से सम्मानित लोकगायिका चंदन तिवारी, बिहारनामा (हिंदी, भोजपुरी, मैथिली, मगही भाषा में बिहार के गौरवशाली कवितन) के गायन करिहें।

लगभग चार दशकन 1977-2017) के सक्रिय पत्रकारिता। ‘नवभारत टाइम्स’, ‘धर्मयुग’, ‘रविवार’ आ ‘प्रभात खबर’ में पत्रकार के रूप में कामकाज आ संपादन। पत्रकार रहत देस के अधिकतर हिस्सन से ग्राउंड रिपोर्टिंग, साक्षात्कार, रिपोर्ताज के संगे विश्लेषण। आर्थिक-सामाजिक विषयन पs लेखन। देस-दुनिया के प्रभावी किताबन पs चरचा. बतौर पत्रकार, दुनिया के 21 देसन के देखे, पाठकन के ओकरा बारे में बतावे के काम। माने गुजरल चार दशकन (1977-2017) के देस-दुनिया आ स्थानीय समाज के सरोकारन, सवालन पs बहुआयामी लेखन के संकलन हs, ई किताब।

मोतिहारी में जन्मल आ संसार के महान लेखकन में से एगो, जॉर्ज आरवेल कहले रहस कि जेकरा मुट्ठी में इतिहास होला, उहे भविष्य निर्माण करेला। आरवेल के मंतव्य रहे कि आवे वाली पीढ़ियन के नजरिया तइयार करे में इतिहास के क्रिटिकल भूमिका बा। एह दृष्टि से अइसन संकलनन के सामयिक महत्व बा।

हरिवंश के ई पुस्तक, प्रकाशन संस्थान (नई दिल्ली) के ओर से ‘समय के सवाल’ श्रृंखला के तहत दस खंडन में प्रकाशित बा। एह पुस्तकन के नाम क्रमश: 'बिहार: सपना और सच', 'भविष्य का भारत', 'राष्ट्रीय चरित्र का आईना', 'झारखंड: संपन्न धरती, उदास बसंत', 'झारखंड: चुनौतियां भी-अवसर भी', 'पतन की होड़', 'अतीत के पन्ने', 'सरोकार और संवाद', 'ऊर्जा के उत्स' और 'सफर के शेष' बा। अलग-अलग विधा आ अलग-अलग विषयन पs बाड़ी सs ई किताब।

हरिवंश 1977 में पत्रकारिता में धर्मयुग (साप्ताहिक पत्रिका, टाइम्स आफ इंडिया समूह, मुंबई) से काम सुरू कइलें। फेर अतवार (साप्ताहिक पत्रिका, आनंद बाजार समूह, कोलकाता) आ प्रभात खबर (दैनिक अखबार) के संगे संबद्ध होके पत्रकारिता कइलें। सुरुआती प्रशिक्षण में नवभारत टाइम्स ( मुंबई) में रह।. एह प्रकाशनन में छपल उनकर लेख, एह दस संकलन में बा। एकरा अलावे आउर पत्र-पत्रिकन में लिखल लेख। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के अंतिम दौर के साक्षात्कार बा, तs चंद्रशेखर जइसन नेता से बातचीत। नक्सलवाद के शीर्ष नेता से लेके अध्यात्म के शिखर मनीषियन से बेवस्था आ जिनगी के गूढ़ प्रश्नन पs साक्षात्कार बा। बिहार-झारखंड आ देस के कुछ आउर सुदूर गांवन से रिपोर्ट बा, तs अमेरिका आ दुनिया के दूसरका विकसित मुल्कन के यात्रा आ उहां के तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक दृश्यन के चित्रणों बा।

पत्रकारीय लेखन के तात्कालिक इतिहास (इंस्टैंट हिस्ट्री) कहल गइल बा। अतीत के समृद्ध अध्ययन, भविष्य के रस्ता बनावेला। एह दृष्टि से स्थानीय समाज के संगे राज्य, देस आ दुनिया में, तब के दौर में हो रहल उथल-पुथल आ बदलावन के झलकआ चित्रण बा, एह संकलनन में। एह कार्यक्रम के आयोजन प्रकाशन संस्थान नई दिल्ली के ओर से कइल गइल बा।

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