एजा रहेला राक्षस महिषासुर के परिवार, नवरात्र में पूजा नाहीं बल्कि शोक में डूबल रहेला कस्बा..जानीं कहां बा इs अनोखा गांव
काल्हु से देश भर में नवरात्रि मनावल जा रहल बा. लोग अलग-अलग पंडाल के देखे करे खातीर तैयार बाड़े। षष्ठी से हर जगह चहल-पहल हो जाई।लोग जश्न मनावत देखाई दिही, बाकिर कुछ इलाका में एs 9 दिन ले शोक मनावल जाला। एकर कारण इs बा कि कुछ आदिवासी समुदाय के लोग माई दुर्गा के मारल महिषासुर के आपन पूर्वज आ वीर योद्धा मानेला।
इs लोग झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश अवुरी छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाका से आवेले। एह इलाकन में महिषासुर के बहुत श्रद्धा से पूजा कइल जाला, आ एह समुदायन में एकरा के शहादत दिवस के रूप में मनावे के परंपरा बा।
झारखंड के गुमला जिला के असुर जनजाति महिषासुर के आपन पूर्वज मानेला। उनकर दावा बा कि देवी दुर्गा आ महिषासुर के बीच के युद्ध असल में आर्य आ अनार्यन के बीच के युद्ध रहे। एह संघर्ष में महिषासुर के हार के ऊ लोग राक्षसन के विनाश मानत बा. एतने ना, कई जगह महिषासुर के राजा के दर्जा भी दिहल जाला। एह दौरान ना तs एह इलाकन में कवनो उत्सव होला, ना ही नवरात्रि के रीति-रिवाज आ संस्कार के पालन कइल जाला।
एकरा संगे कुछ आदिवासी लोग के मानल बा कि महिषासुर के असली नाम हुडुर दुर्गा रहे अवुरी उs एगो महान योद्धा रहले। उs महिला के बहुत इज्जत करत रहले। ओह लोग पs हमला ना कइलस. माई दुर्गा धोखा से मार देले रहली। मानल जाला कि आजो एह समुदाय के लोग महिषासुर के कहानी अपना अगिला पीढ़ी के सुनावेला, जेकरा से पहचान संजो के रखले बा।
विवाद आ पहचान
महिषासुर के शहादत दिवस मनावे के लेके कई बेर विवाद उठ चुकल बा। दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी एह दिन के आयोजन कईल गईल बा, जवना में दलित-आदिवासी अवुरी ओबीसी के छात्र के समर्थन मिलेला।
ई विद्यार्थी महिषासुर के एगो ऐतिहासिक पात्र मानत बाड़े आ अपना पहचान के उनुका से जुड़ल देखत बाड़े.
मैसूर के नाम आ महिषासुर के कथा
कर्नाटक के मैसूर शहर के नाम भी महिषासुर से जुड़ल बा। मानल जाला कि एह क्षेत्र के नाम महिषासुर के भूमि ‘मैसूरू’ से पड़ल जवना के बाद में बदल के ‘मैसूर’ हो गइल।
स्थानीय कथा के मुताबिक चामुंडेश्वरी देवी महिषासुर के वध कs देली, अवुरी एs इलाका में एगो पहाड़ी पs महिषासुर के मूर्ति लगावल गईल बा।
पश्चिम बंगाल के एगो इलाका में नवरात्रि के दौरान भी शोक मनावल जाला। जलपाईगुड़ी जिला के अलीपुरदुआर के लगे चाय के बगइचा बा। उहाँ कुछ जनजाति महिषासुर के आपन पूर्वज मानेले आ नवरात्रि के दौरान शोक मनावेले, जबकि पूरा पश्चिम बंगाल में नवरात्रि बहुत धूमधाम से मनावल जाला।
असुर जनजाति के एह लोग में इहे कहानी प्रचलित बा कि महिषासुर ओह लोग के पूर्वज रहले, जेकरा के माई दुर्गा धोखा से मार देले रहली। एह जनजाति के लइका-लइकी माटी से बनल शेर के खिलौना से खेलेलें आ ऊ लोग शेर के गरदन के मरोड़ देले। इs लोग अयीसन एहसे करेले कि देवी दुर्गा के वाहन शेर हs। असुर जनजाति के लोग शेर से नफरत करेला।