दुनिया में कहां से आइल कॉकरोच? आखिर कइसे एशिया से यूरोप तक फैल गइल ; स्टडी में खुलासा
दुनिया भर में तिलचट्टा के 4000 से अधिका प्रजाति पावल जालीं। जर्मन तिलचट्टा पूरा दुनिया में पावल जाए वाली तिलचट्टा के सभसे आम प्रजाति हs। शोधकर्ता के मुताबिक जर्मन तिलचट्टा के विकास करीब 2100 साल पहिले एशियाई तिलचट्टा से भइल रहे।
कबो सोचले बानी कि तिलचट्टा कहां से आइल आ दुनिया भर में कइसे फइलल? प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एगो ताजा अध्ययन के मुताबिक, तिलचट्टा के उत्पत्ति भारत चाहे म्यांमार से भइल बा। एकरा बाद पिछला 1000 साल में ई पश्चिमी देशन में फइल गइल।
एह अध्ययन में शामिल बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर स्टीफन रिचर्ड्स के कहना बा कि एह अध्ययन में 17 देश आ छह महाद्वीप के 280 से अधिका तिलचट्टा प्रजाति के आनुवंशिकी के विश्लेषण कइल गइल । एह से पता चलल कि जर्मन तिलचट्टा के उत्पत्ति दक्षिण पूर्व एशिया में भइल बा।
हमनी के बता दीं कि पूरा दुनिया में तिलचट्टा के 4000 से अधिका प्रजाति पावल जाले। जर्मन तिलचट्टा पूरा दुनिया में पावल जाए वाली सभसे आम प्रजाति हs । शोधकर्ता के मुताबिक जर्मन तिलचट्टा के विकास करीब 2100 साल पहिले एशियाई तिलचट्टा से भइल रहे। एकर जीन बंगाल के खाड़ी में पावल जाए वाली तिलचट्टा के ब्लैटेला असहिनाई प्रजाति के जीन से मेल खाला।
शोधकर्ता के मुताबिक, जर्मन तिलचट्टा लगभग 1200 साल पहिले पश्चिमी एशिया के रास्ता से पश्चिमी देश में पहुंचल रहे। पश्चिमी देशन में तिलचट्टा कइसे पहुँचल एह बारे में दू गो सिद्धांत बा। पहिला- तिलचट्टा ओहिजा ओह सामान के माध्यम से पहुँचत रहे जवन डच आ ब्रिटिश व्यापारिक मार्ग से पश्चिम में जात रहे। दूसरा- पश्चिमी एशिया से सैनिकन खातिर भेजल रोटी के खेप के माध्यम से तिलचट्टा पश्चिमी देशन में पहुँचल।
वैज्ञानिक लोग के कहनाम बा कि जवना समय जर्मन तिलचट्टा पश्चिमी देश में पहुंचल रहे, तब भाप इंजन जइसन चीज़ के आविष्कार होखत रहे। जवना से ओह लोग के अउरी फइलावे में मदद मिलल । बता दीं कि जर्मन तिलचट्टा पहिला बेर 17वीं सदी में यूरोप में देखल गइल रहे। तब से ई मानल जात रहे कि इनहन के उत्पत्ति खाली यूरोप में भइल बा